महामारी खतरे में डाल सकती है ऊर्जा स्रोतों के परिवर्तन को

  • WEF  ने अपनी सालाना ऊर्जा परिवर्तन रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट की वजह से सालों से पूरी दुनिया में हो रहे कार्बन ईंधनों से पर्यावरण-फ्रेंडली ऊर्जा के स्रोतों की तरफ बढ़ने के प्रयासों पर खतरा पैदा हो गया है.
  • ऊर्जा के क्षेत्र में इस समय कीमतें बड़ी अस्थिर हैं, मांग गिर रही है, निवेश रुका हुआ है और इस क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कामगार अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं.

 महामारी की वजह से आर्थिक बहाली और पर्यावरण को समर्थन देने के लिए अपरंपरागत नीतियां पर काम करने का भी अवसर मिल रहा है.  जिस तरह सभी ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए भारी त्याग करना स्वीकार कर लिया है, "एक सफल ऊर्जा परिवर्तन के लिए इसी तरह की कोशिशों की जरूरत है." रिपोर्ट में सुरक्षित और अफोर्डेबल ऊर्जा और पर्यावरण के बीच कैसे अलग अलग देशों में संतुलन लाने की कोशिश की जा रही है, उसे लेकर देशों की एक सालाना रैंकिंग भी है.

 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले साल पूरे विश्व में मीथेन गैस का जितना उत्सर्जन हुआ उसमें आधे से ज्यादा हिस्सा नार्थ अमेरिका में हुई तेल और गैस के उत्पादन से हुए उत्सर्जन का था. डब्ल्यूईएफ का कहना है, "ऊर्जा परिवर्तन की प्रक्रिया में प्राकृतिक गैस की अहमियत को देखते हुए, मीथेन के उत्सर्जन को कम करने वाली तकनीक और प्रतिबंधों को तुरंत लागू किया जाना चाहिए."

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