दम घोंटू है कार्बन मोनोऑक्साइड
ठंडक के दिनों में अक्सर बंद कमरे में जलती अंगीठी के कारण लोगों के मौत की वजह यही गैस बनती है।
ऐसे बनती है
जब गैस, पेट्रोल, डीजल, कोयला या लकड़ी जैसे ईंधन पूरी तरीके से जल नहीं पाते तब सामान्यतौर पर यह गैस पैदा होती है।
जहरीली गैस
कार्बन मोनोक्साइड रंगहीन,गंधहीन और बहुत ही जहरीली गैस है। डीजल इंजन की गाड़ियों के एक्जास्ट में इस गैस की मात्र सर्वाधिक होती है। किसी भी तरह के ईधन के जलने से यह गैस निकलती है। कोयले की अंगीठी से भी इस खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।
कैसे लेती है जान
आदमी के रक्त में ऑक्सीजन परिसंचरण के लिए आवश्यक तत्व ऑक्सीहीमोग्लोबिन के साथ मिलकर यह गैस काबरेऑक्सीहीमोग्लोबिन तत्व का निर्माण करती है। यह तत्व खून में ऑक्सीजन को मिलने से रोकता है। जिसके कारण सांस लेने की सामान्य प्रक्रिया बाधित होती है। ऐसी परिस्थिति में आदमी की मौत हो जाती है।
लक्षण
’ >>सांस के साथ ज्यादा मात्र में कार्बन मोनोक्साइड अंदर जाने से आदमी पीला पड़ जाता है। चक्कर आने के साथ कमजोरी महसूस होने लगती है। कोमा की अवस्था में श्वसन अंगों के फेल हो जाने से मौत भी हो सकती है।
’ गैस की कम मात्र में तनाव, बेचैनी, चक्कर आना, घबराहट के साथ कानों में तेज आवाजें सुनाई पड़ना, मितली आना, मांस पेशियों में कमजोरी के कारण चलने फिरने में दिक्कत आना, देखने में परेशानी, सांस लेने के क्रम में तेजी के साथ मौत भी हो सकती है।
दिल्ली में अनाज मंडी अग्निकांड ने उन जख्मों को हरा कर दिया है, जो पिछले कई सालों से हमें सालते रहे हैं। देश ने ऐसे कई अग्निकांड देखे हैं, जिनमें लोगों ने अपनों को खोया है। हर अग्निकांड के बाद हम शोक व्यक्त करते हैं, मातम मनाते हैं, लेकिन उनसे सबक सीखे बिन अगली घटना का इंतजार करते हैं। अनाज मंडी अग्निकांड के साथ आगजनी की उन घटनाओं को याद करना जरूरी है जिन्होंने देश को झकझोर दिया था। हालांकि उसके बाद भी ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। उन्हें रोकने के लिए न हमारे पास पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही हम ऐसी घटनाओं से सबक सीख सकें हैं।