भूजल स्तर (Ground water level) में लगातार  गिरावट

Deteriorating ground water level in India and need for action
#Satyagriha
भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट के बीच हाल में हुए एक शोध में इसके तेजी से प्रदूषित होने के बारे में भी पता लगा है. इंडिया साइंस वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय और ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह शोध बताता है कि :
    भूजल में नाइट्रेट, क्लोराइड, फ्लोराइड, आर्सेनिक, सीसा, सेलेनियम और यूरेनियम जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है.
    इसमें विद्युत चालकता और लवणता का स्तर भी अधिक पाया गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार भूजल में सेलेनियम की मात्रा 10-40 माइक्रोग्राम प्रति लीटर और मॉलिब्डेनम की मात्रा 10-20 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाई गई है. इसके अलावा इसमें लगभग 0.9-70 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम की सांद्रता होने का भी पता चला है.
    शोधकर्ताओं के मुताबिक इस अध्ययन में जलभृत (एक्वाफर) के ऊपरी 160 मीटर हिस्से में मौजूद तत्वों का रासायनिक विश्लेषण किया गया है. अध्ययन क्षेत्र में कृषि, शहरी, ग्रामीण और मध्य मैदानों समेत कुल 19 अलग-अलग तरह के क्षेत्रों की भूमि शामिल थी. इन भागों में उथले (0-50 मीटर) और गहरे (60-160 मीटर) एक्वाफरों से जल के नमूने एकत्र करके भूजल प्रदूषण का अध्ययन किया गया.
जलभृत या एक्वाफर क्या है?
पृथ्वी की सतह के भीतर स्थित उस संरचना को एक्वाफर कहते हैं जिसमें मुलायम चट्टानों और छोटे-छोटे पत्थरों के बीच में भारी मात्रा में जल भरा रहता है. एक्वाफर की सबसे ऊपरी परत को वाटर-लेबल कहते हैं. सामान्यतः स्वच्छ भूजल एक्वाफर में ही पाया जाता है.
हानिकारक तत्व भूजल तक पहुंचने के कारण
    सबसे प्रमुख कारण भूमिगत जल के अंधाधुंध दोहन, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग और सतह पर औद्योगिक कचरा बहाए जाने को मानते हैं. वैज्ञानिकों ने इस बात के भी स्पष्ट प्रमाण दिए हैं कि मानव-जनित और भू-जनित हानिकारक तत्व तलछटीय एक्वाफर तंत्र से होकर गहरे एक्वाफरों में पहुंच रहे हैं.
    लगातार दोहन से भूजल का स्तर गिरता है जिससे उथले या ऊपरी एक्वाफ़रों की खाली जगह में हवा भरने से उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है. इसे ऑक्सिक भूजल कहते हैं. ऑक्सिक भूजल के कारण नाइट्रेट या नाइट्राइट का गैसीय नाइट्रोजन में परिवर्तन सीमित हो जाता है. इससे उथले भूजल में सेलेनियम और यूरेनियम जैसे तत्वों की गतिशीलता बढ़ जाती है. वहीं, गहरे एक्वाफ़रों तथा शहरी क्षेत्र के उथले एक्वाफ़रों में मिलने वाली यूरेनियम की अधिक मात्रा का संबंध उच्च बाइकार्बोनेट युक्त जल से पाया गया है.


अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि शोध से प्राप्त परिणाम उत्तर-पश्चिम भारत में भूजल के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. लेकिन, भूजल में सेलेनियम, मॉलिब्डेनम और यूरेनियम जैसे खतरनाक तत्वों का अधिक मात्रा में मिलना काफी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि गहरे एक्वाफरों के प्रदूषित होने पर भूजल की गुणवत्ता सुधरने में बहुत समय लग जाता है. यानी यह और भी बड़ी चेतावनी है क्योंकि भूजल का स्तर तो गिर ही रहा है, बचा हुआ भूजल भी खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहा है
 

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