नैनीताल में संरक्षण सेंटर बनाकर वन विभाग ने काई की प्रजातियों पर रिसर्च की शुरुआत की है। सबसे पुरानी वनस्पतियों में शामिल इस प्रजाति को आमतौर पर बेकार समझा जाता है, लेकिन पारिस्थितिकीय तंत्र में इसका खासा महत्व है। प्रदूषण का सबसे बड़ा इंडिकेटर मानी जानी वाली काई में एंटीसेप्टिक व एंटी बैक्टीरिया जैसे औषधीय गुण शामिल हैं। यह देश का पहला काई संरक्षण एवं शोध सेंटर है।