महराजगंज की फरेंदा तहसील के ‘भारी-वैसी' गांव में प्रदेश का पहला ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र' स्थापित करेगी। गोरखपुर वन प्रभाग में 5 हेक्टेयर में स्थापित होने वाला केंद्र हरियाणा के पिंजौर में स्थापित देश के पहले जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र की तर्ज विकसित किया जाएगा।
भारतीय उप महाद्वीप में गिद्धों की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं। तीन प्रजातियां व्हाइट बैक्ड (जिप्स बेंगेंसिस), लॉन्ग-बिल्ड (जिप्स इंडिकस) और सिलेंडर-बिल्ड (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस) संरक्षित हैं।
गिद्धों की मौत की एक वजह डाइक्लोफेनिक दवाओं का बढ़ता इस्तेमाल भी था। 2006 में डाइक्लोफेनिक दवाओं पर रोक लगी फिर भी पशु चिकित्सक मनुष्यों के लिए स्वीकृत इस दवा का डोज बढ़ा कर पशुओं में इस्तेमाल करते थे। ऐसे पशुओं की मौत के बाद उनका मांस खाने वाले गिद्ध खत्म होते गए।