2018 के शुरुआती दो महीनों में ही 93 तेंदुओं की मौत

वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी आफ इंडिया की मानें तो ये तेंदुए खाल, खोपड़ी और अन्य अंगों के लिए उनके शिकार के चलते मारे गए. इस लिहाज से उत्तराखंड शीर्ष पर रहा जहां 24 तेंदुए मारे गए. इसके बाद महाराष्ट्र में 18 जबकि राजस्थान में 11 तेंदुओं के मारे जाने की सूचना है.

  • डब्ल्यूपीएसआई के मुताबिक जनवरी-फरवरी 2018 के दौरान पांच तेंदुओं को ग्रामीणों ने मौत के घाट उतारा. सात की मौत उनकी आपसी लड़ाई में हुई जबकि पांच तेंदुओं की मौत की वजह चीता या फिर अन्य वन्य जीव बने. एक की मौत करंट लगने की वजह से भी हुई. एक अन्य तेंदुए को लखनऊ में पुलिस ने अपनी गोली का शिकार भी बनाया. इसके अलावा रेल और सड़क दुर्घटना में आठ तेंदुओं की मौत हुई. इस दौरान डब्ल्यूपीएसआई ने 23 अलग-अलग मामलों में तेंदुओं की खाल, खोपड़ी और उनके पंजे भी बरामद किए.
  • अध्ययन के मुताबिक इस समयावधि में चार तेंदुओं को तस्करों के हाथों से जिंदा बचाने में भी सफलता मिली है. तस्करी की ये घटनाएं गुजरात, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में हुई थीं.
  •  डब्ल्यूपीएसआई के कार्यक्रम संचालक टीटो जोसेफ का कहना है, ‘तेंदुओं की मौत की यह संख्या असामान्य रूप से बेहद अधिक है. वन्यजीवों के संरक्षण के लिहाज से यह साल की खराब शुरुआत है. इस संबंध में जल्दी ही हम और सूचनाएं इकट्ठा करके उन्हें जारी करेंगे.

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