Context: पहली बार वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका की मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के अंदर से माइक्रोप्लास्टिक मिला है. ‘बायोलॉजी लेटर्स' नाम के साइंस जर्मन में छपी इस स्टडी के लेखक ने लिखा है कि यहां की धरती पर मौजूद फूड चेन में प्लास्टिक के पहुंचने से "ध्रुवीय ईकोसिस्टम पर और दबाव बनेगा जो पहले से ही इंसानी दखलअंदाजी बढ़ने और जलवायु परिवर्तन की परेशानियां झेल रहा है.
क्या होते हैं माइक्रोप्लास्टिक?
यह प्लास्टिक के ऐसे कण होते हैं जिनका आकार 5 मिलीमीटर से भी छोटा होता है. दुनिया भर में नदियों और सागरों में इस समय करीब 15 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा घुला होने का अनुमान है. यह जब लहरों और अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण टूट-टूट कर और छोटा हो जाता है तो माइक्रोप्लास्टिक बन जाता है. यह माइक्रोप्लास्टिक सागर के पानी के साथ फिर तलछटी, तटीय इलाकों और समुद्री जीवों में पहुंच जाता है.
Where Micro plastic has been Found:
इंफ्रारेड इमेजिंग तकनीक की मदद से रिसर्चरों ने पाया कि इनमें से एक जीव के भीतर पॉलीस्टाइरीन से बने फोम का अंश पहुंचा हुआ था. यह जीव स्प्रिंगटेल कहलाता है और इसका वैज्ञानिक नाम है क्रिप्टोपाइगस एंटार्कटिकस. यह सूक्ष्मजीव अंटार्कटिका क्षेत्र में लगभग उन सब जगहों पर पाया जाता है, जो हमेशा बर्फ से ढके नहीं रहते. यह जीव लाइकेन और माइक्रो-एल्गी को खाता है.
Reference: https://www.dw.com/