- वर्ष 2022 तक रिन्यूएबल ऊर्जा स्त्रोतों से 1.75 लाख मेगावाट बिजली बनाने का सरकार का लक्ष्य समय से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
- इस वर्ष के अंत तक पवन, सौर और ऊर्जा के अन्य अपारंपरिक स्त्रोतों से 90 हजार मेगावाट बिजली बनाने का काम पूरा हो जाएगा।
- नवंबर, 2017 तक रिन्यूएबल एनर्जी स्त्रोतों से 62,000 मेगावाट क्षमता की बिजली बनाने के संयंत्र स्थापित हो चुके हैं।
-अभी सरकार की तरफ से सौर ऊर्जा के लिए 14,000 मेगावाट की और निविदाएं जारी की गई हैं। जबकि कुछ और निविदाएं अगले वित्त वर्ष के दौरान जारी की जाएंगी। कई राज्यों में सोलर पार्क बनाने का काम तेज किया जाएगा।
- सरकार की देश में सोलर पैनल बनाने की योजना के मुताबिक पहले चरण में 20 हजार मेगावाट के सोलर पैनल बनाने के लिए फैक्ट्रियां स्थापित की जाएंगी। इसके लिए निविदा जारी की गई है। अभी देश में जितने सोलर पैनल की जरूरत होती है, उसका 80 फीसद चीन या ताईवान से आयातित होता है।
- बताते चलें कि देश के कई हिस्सों में सोलर पार्क बनाने के राज्यों के प्रस्तावों में देशी-विदेशी कंपनियां काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा होने की वजह से सौर ऊर्जा बनाने के लिए कंपनियों की दरों में लगातार गिरावट आ रही है।
- हाल ही में एक कंपनी ने 2.45 रुपये प्रति यूनिट की निविदा भरी थी जिसे स्वीकार किया गया है।
=>समुद्री लहरों से बिजली :-
- सरकार समुद्री लहरों से बिजली बनाने की योजना को लेकर भी काफी गंभीरता से आगे बढ़ रही है। एक अध्ययन के मुताबिक खंभात की खाड़ी में समुद्री लहरों से 7,000 मेगावाट और कच्छ की खाड़ी में 1000 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। जबकि पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके में 100 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है।