बाघ सरंक्षण के उपाय(Tiger Conservation in India)
बाघो का पारिस्थिकी के लिए महत्व
- पारिस्थितिकी पीरामिड (Ecological Pyramid) तथा आहार श्रृंखला में बाघ सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
- बाघ के लिए बड़ी मात्रा में आहार और अच्छा वन आवश्यक है। इस तरह बाघ की सुरक्षा करके हम समूचे पारिस्थितिकी प्रणाली तथा पारिस्थिकी की रुक्षा करते हैं। ये मानव जाति के कल्याण के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
बाघ संरक्षण के लाभ
वास्तव में बाघ संरक्षण के लाभ अनेक हैं, लेकिन इनका पूरा लाभ उठाया नहीं जा सका है। हम आर्थिक संदर्भ में इसकी मात्रा निश्चित नहीं कर सकते। प्रकृति का मूल्य लगाना कठिन है। प्रकृति की तुलना धन से नहीं की जा सकती क्योंकि प्रकृति ने वन्य प्राणियों आत्म रक्षा की शक्ति दी है। इसलिए यह हमारा दायित्व है कि हम उनका संरक्षण करें।
तस्करी व बाघ
बाघ को एक बड़ा खतरा उसके शरीर के अंगों की मांग और इस पर निर्भर उत्पादों की मांग है। वन और इसके वन्य जीव क्षेत्र एक मुक्त खजाना है जिसे बंद नहीं किया जा सकता।
भारत मे बाघ सरंक्षण के कार्यक्रम
- भारतने 1973 में बाघ परियोजना(Project tiger) लॉंच की। इसका कवरेज प्रारंभिक 9 बाघ संरक्षित क्षेत्रों से बढ़कर 49 बाघ संरक्षित क्षेत्र हो गया है। बाघ सरंक्षण भारत सरकार तथा राज्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। सामूहिक प्रयासों के कारण बाघों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह संख्या 2010 के 1706 से बढ़कर 2014 में 2226 हो गई।
- भारतकेराष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकार (National Tiger Conservation Authority) ने अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इस संवेदनशील वन क्षेत्रों में अवैध शिकार के विरुद्ध निगरानी को प्रोत्साहन देने के लिए इंटेलीजेंट, इंफ्रांरेड तथा थर्मल कैमरे 24x7 आधार पर लगाने सहित आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- स्मार्ट पेट्रोलिंग तथा बाघ निगरानी के लिए अनेक प्रोटोकॉल विकसित किए गए हैं।
- बाघों की सुरक्षा निगरानी के लिए रेडियो टेलीमिट्री को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
- राष्ट्रीय स्तर पर बाघों की सुरक्षा पर नजर रखने वाले कैमरों के फोटो का डाटाबेस भंडार तैयार किए जा रहा है।
- इस वर्ष बाघ संरक्षण के आवंटन को दोगुना कर दिया गया है। भारतने बाघ संरक्षण के लिए 150 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 380 करोड़ रुपये आवंटित किया है ।
बाघ संरक्षणसमग्ररूपसे
बाघ संरक्षण क्षेत्रों की पारिस्थितकी प्रणाली पर विचार करते समय हमें इन क्षेत्रों को प्राकृतिक पूंजी मानना होगा। हमारी संस्थाओं की ओर से कुछ बाघ संरक्षित क्षेत्रों का आर्थिक मूल्यांकन किया गया है। इस अध्ययन से यह तथ्य उभरा है कि बाघ को संरक्षण प्रदान करने के अतिरिक्त संरक्षित क्षेत्र अनेक आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं। इन्हें पर्यावरण प्रणाली सेवाओं के रूप में जाना जाता है। इसलिए संरक्षण को विकास में बाधा मानने के बजाय विकास के साधन के रूप में परिभाषित करने की जरूरत है। इसके लिए विकास और वृद्धि के आर्थिक गणित के तहत पर्यावरण प्रणाली के मूल्य को ध्यान में रखना होगा।