माइक्रोप्लास्टिक से समुद्र के विशालकाय जीवों को खतरा : अध्ययन

प्लास्टिक के सूक्ष्म कण (माइक्रोप्लास्टिक) बड़े समुद्री जीवों के लिए घातक बनते जा रहे हैं। समुद्र को साफ रखने में अहम भूमिका निभाने वाले समुद्री जीव व्हेल, शार्क और मान्टा रे आदि इसकी चपेट में आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने खासतौर पर सबसे ज्यादा प्रदूषित बंगाल की खाड़ी, भूमध्य सागर और मैक्सिको की खाड़ी को लेकर यह चेतावनी दी है।

बदल सकती है जीवों की जैविक प्रक्रिया

- माइक्रोप्लास्टिक्स में जहरीले रसायन होते हैं। जीवों के पेट में ये इकट्ठे होते रहते हैं और उनकी जैविक प्रक्रिया को बदल देते हैं। इसमें उनका विकास, प्रजनन और प्रजनन क्षमता शामिल हैं। यह शोध ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।


- शोधकर्ताओं ने कहा कि अतिसूक्ष्म प्लास्टिक के कण नुकसानदायक हो सकते हैं क्योंकि इनमें जहरीले रसायन होते हैं.

- अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक से संबद्ध रसायन एवं प्रदूषक उनमें दशकों तक जमा रह सकते हैं और इससे इन जीवों की जैविक प्रक्रियाओं में परिवर्तन भी हो सकता है जिससे इनकी वृद्धि, विकास एवं प्रजनन दर में कमी समेत प्रजनन की क्रिया में परिवर्तन देखा जा सकता है.

पाचनतंत्र हो जाता है खराब 

 समुद्र को साफ रखने में अहम भूमिका निभाने वाले बड़े समुद्री जीवों को इसलिए ज्यादा खतरा है क्योंकि छोटे समुद्री जीव और वनस्पति के सेवन के दौरान उन्हें हजारों क्यूबिक पानी रोज निगलना पड़ता है। जब ना पचने वाले माइक्रोप्लास्टिक उनके पेट में चले जाते हैं तो इससे उनका पाचनतंत्र खराब हो जाता है।

- कैलिफोर्निया की खाड़ी और भूमध्य सागर में व्हेल और शार्क पर किए शोध में उनमें जहरीले पदार्थ पाए गए हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स में इन जीवों के प्रजनन को प्रभावित करने की क्षमता है। कई प्रजातियां ऐसी हैं जो लंबे समय तक जीवित रहती हैं और अपने जीवनकाल में बहुत कम प्रजनन करती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियां अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की संरक्षण सूची में शामिल हैं।

अतिसूक्ष्म प्लास्टिक से प्रदूषित प्रमुख स्थलों में मेक्सिको की खाड़ी, भूमध्यसागर, बंगाल की खाड़ी और इंडोनेशिया समेत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समुद्री क्षेत्र ‘कोरल ट्र्रैंगल’ शामिल है.

क्या होते हैं माइक्रोप्लास्टिक

प्लास्टिक के पांच मिलीमीटर से भी छोटे कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। आमतौर पर ये सौंदर्य प्रसाधनों, कपड़ों और औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग में आते हैं। ये ड्रेनेज के जरिये नदियों और वहां से समुद्र में पहुंचते है। 

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