प्रतिगामी निर्णय

INDIA has amended PMLA and relaxed KYC norms for buying gold

#Business_Standard

Recent context

  • सरकार ने धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के अधीन ‘ग्राहक को जानें’ (केवाईसी) मानक का पालन किए बगैर आभूषण खरीद में रियायत की सीमा बढ़ा दी है।
  • अब लोगों को 2 लाख रुपये तक के आभूषण खरीदने के लिए किसी तरह के दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। अभी तक यह सीमा 50,000 रुपये थी।
  • पीएमएलए में अगस्त 2017 में संशोधन करके यह सुनिश्चित किया गया था कि 50,000 रुपये से अधिक के आभूषण खरीदने पर पैन और आधार की जानकारी देनी पड़े। अब इस अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है।

इसमें दो राय नहीं कि इस कदम से त्योहारी मौसम में कारोबार को राहत मिलेगी। निश्चित तौर पर आभूषण कारोबारी कहते हैं कि उनका एक तिहाई सालाना कारोबार नवरात्र और दीवाली के बीच होता है। उद्योग संगठन भी मानते हैं कि इस रियायत के बाद बिक्री में 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।

Will it  promote money laundering?

  • बहरहाल, इससे रत्न एवं आभूषण कारोबार में सुधार हो सकता है लेकिन आभूषणों की बारंबार खरीद की मदद से बड़ी मात्रा में काले धन को सफेद भी बनाया जा सकता है।
  • इससे काले धन को सफेद करने में मदद ही नहीं मिलेगी बल्कि इसका बाह्यï वित्त पर भी बुरा असर पड़ सकता है। वह भी ऐसे वक्त में जबकि चालू खाता दबाव में है।
  • सोना हमेशा की तरह दूसरी सबसे बड़ी आयात होने वाली वस्तु बना हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से अगस्त 2017 के बीच भारत में 617.5 टन सोना आयात किया गया। यह वर्ष 2016 के शुरुआती आठ महीनों के आयात की तुलना में 158 फीसदी ज्यादा था। वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल-अगस्त के बीच 15.24 अरब डॉलर मूल्य का सोना आयात किया गया। यह अप्रैल-अगस्त 2016 में आयातित 5.08 अरब डॉलर मूल्य के सोने से 200 फीसदी ज्यादा था। कुछ खरीद तो जीएसटी के अधीन आयात शुल्क से प्रेरित थी परंतु हकीकत में जीएसटी में लगने वाला 3 फीसदी शुल्क 1.25 फीसदी के पुराने कर से बहुत ज्यादा नहीं है।
  • गैर केवाईसी खरीद की 50,000 रुपये की सीमा 23 अगस्त को लागू हुई और सितंबर में सोने का आयात 42 टन रह गया। यह सितंबर 2016 के आयात से 40 फीसदी कम था। अब पीएमएलए की सीमा को शिथिल कर दिया गया है तो अक्टूबर में आयात के बढ़कर 70 टन की सीमा छूने के आसार हैं। चालू खाते का घाटा पहले ही 14.3 अरब डॉलर के साथ चार साल के उच्चतम स्तर पर है। यह जीडीपी के 2.4 फीसदी के बराबर है। सोने का आयात इस अंतर को बढ़ाने वाला साबित हुआ है और मांग में नए सिरे से इजाफा व्यापार संतुलन को बिगाडऩे वाला साबित होगा।

यह सरकार भ्रष्टïाचार और कर वंचना कम करने तथा काले धन को सामने लाने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। बीते तीन सालों में उसने कई ऐसी नीतियां लागू की हैं जो कर वंचना और धन शोधन को मुश्किल बनाती हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पार्टिसिपेटरी नोटों पर प्रहार, नकद लेनदेन के लिए केवाईसी मानक सख्त बनाना, आधार संख्या, पैन संख्या और बैंक खातों को आपस में संबद्घ करना, खोखा कंपनियों (फर्जी निष्क्रिय कंपनियां) के खिलाफ कदम और नोटबंदी आदि सभी कदम भ्रष्टïाचार के खिलाफ सरकार के ऐलाने जंग का हिस्सा हैं। बहरहाल, सरकार का ताजा कदम न केवल काले धन के खिलाफ उसके साहसी एजेंडे के असर को सीमित करेगा बल्कि बाहरी खाते पर और अधिक दबाव भी डालेगा। मूलभूत सुविधाओं को हासिल करने के लिए गरीबों को कतारबद्घ होना पड़ रहा है जबकि अमीरों के पास कर वंचना का पर्याप्त रास्ता है। सरकार को अपनी छवि को ऐसा भ्रामक बनाने से बचना चाहिए था

 

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