रक्का का अपना आखिरी गढ़ खोने के बाद भी आईएस का खत्म होना मुश्किल क्यों

Although ISIS area has shrinked but its reemergence can not be neglected and instability in Syria and west can provide conducive ground for its reemergence.

#Satyagriha

इस्लामिक स्टेट (आईएस) की राजधानी कहे जाने वाले रक्का शहर पर अमेरिका समर्थित कुर्द और अरब लड़ाकों का कब्जा होना इस आतंकी संगठन के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका है. आईएस के नियंत्रण में एक समय ब्रिटेन के बराबर भूभाग आ चुका था. फिलहाल यह संगठन इराक और सीरिया के कुछ छोटे-मोटे इलाकों तक सिमटकर रह गया है.

Shrinking area of ISIS

इससे पहले साल की शुरुआत में आईएस इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल से कब्जा गंवा चुका है. यहां से उसे इराक की सरकारी सेनाओं ने खदेड़ा है. वहीं अब रक्का में सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) के हाथों मात खाने के बाद आईएस की कथित खिलाफत भी ढह चुकी है. इस समय पूर्वी सीरिया का देइर इज-जोर अकेला आबादी वाला इलाका बचा है जहां इस आतंकवादी संगठन का नियंत्रण है. हालांकि यहां भी रूस समर्थित सीरियाई सेना के हमले तेज होते जा रहे हैं.

An all out strategy to defeat ISIS

इराक और सीरिया में आईएस के खिलाफ भले ही अलग-अलग पक्षों ने लड़ाई लड़ी हो, लेकिन इनकी रणनीति एक जैसी ही रही है. इराक में सरकारी सेना कुर्द और शिया लड़ाकों के साथ मिलकर जमीन पर लड़ रही थी तो वहीं अमेरिकी सेना हवाई हमलों को अंजाम दे रही थी. सीरिया में एसडीएफ को जहां अमेरिकी वायुसेना की मदद मिल रही थी तो आईएस के खिलाफ सीरियाई सेना की मदद के लिए रूसी वायु सेना ने मोर्चा खोला हुआ था.
कुल मिलाकर इस आतंकी संगठन पर चारों ओर से हमले हो रहे थे जिनके चलते आखिरकार उसे घुटने टेकने पड़े. उसकी प्रोपेगेंडा शाखा जो सिर कलम करने और सामूहिक हत्याओं के वीडियो बनाकर उनका इंटरनेट के जरिए प्रसारण करती थी, इस समय गायब हो चुकी है. आईएस के शीर्ष कमांडर मारे जा चुके हैं या भागते फिर रहे हैं. लेकिन अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ है.


ISIS & its spread

आईएस मूल रूप से एक विद्रोही संगठन था जिसने एक भू-भाग पर कब्जाकर एक छद्म देश बना लिया था और
इस दौरान इसकी एक वैश्विक पहचान भी बन गई. सैन्य रूप से यह देश तो तबाह हो चुका है लेकिन एक आंदोलन की शक्ल में आईएस का खात्मा अभी बहुत दूर है.


Can ISIS reemerge?

आईएस को इराक में मौजूद अलकायदा के टूटे गुटों और लड़ाकों ने ही मिलकर बनाया था.
इसी तरह से आईएस भी इराक और सीरिया के अराजक क्षेत्रों में बचा रह सकता है और सही समय आने पर एकजुट होकर फिर हमलावर बन सकता है.
पेरिस और ब्रसेल्स के आतंकी हमले और पश्चिमी देशों में कई जगह आईएस के नाम पर किसी एक व्यक्ति द्वारा अंजाम दिए गए हमले बताते हैं कि आईएस सैन्य दबाव के बावजूद अपना विनाशक अभियान जारी रख सकता है.
इसके साथ ही पश्चिम एशिया की भू-राजनीति के चलते कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता है. इसकी वजह से ही आईएस का उदय हुआ था, यह भविष्य में भी जारी रहने वाली है.
अब तक एक साझा दुश्मन के कारण यहां एक दूसरे के विरोधी पक्ष एकजुट थे. लेकिन आईएस की चुनौती कमजोर पड़ने के साथ इनके गठबंधन में दरारें दिखनी शुरू हो गई हैं. इराकी सेना और कुर्द पेशमर्गा जो मोसुल में आईएस के खिलाफ साथ लड़ रहे थे, किरकुक में एक दूसरे के खिलाफ जंग में हैं.
सीरिया में आईएस की हार के बाद वर्तमान सरकार अपने कुर्द स्वायत्तशासी क्षेत्र पर ध्यान दे सकती है और यहां कोई सैन्य कार्रवाई कर सकती है. तुर्की भी अमेरिका द्वारा कुर्दों को हथियार दिए जाने पर सख्त विरोध जता चुका है. कुर्दों के मजबूत होने के साथ-साथ ऐसी आवाजें भी तेज होती जाएंगी. ऐसे में सवाल यही है कि क्या आईएस के खिलाफ लड़ रहे सभी पक्षों के पास आईएस के बाद वाले पश्चिम एशिया को लेकर एक विस्तृत और दीर्घकालीन दृष्टिकोण है या नहीं. अगर ऐसा है तभी इस क्षेत्र में आईएस जैसे संगठनों को दोबारा पनपने से रोका जा सकता है

GS PAPER III

आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्वों की भूमिका।

 

रक्का में हुई जीत काफी नहीं है और अन्तराष्ट्रीय घटनाएं और आतंरिक द्वन्द ISIS के पुनरुत्थान के लिए नई सतह प्रदान कर सकते है| चर्चा करे

Recent victory at Raqqa is not enough and various international events and internal squab can provide fertile ground for re-emergence of ISIS?

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