अधर में अटका मुक्त व्यापार समझौता

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Recent Context

हाल में ही 14वां भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) सम्मेलन दोनों पक्षों के बीच कारोबार और सुरक्षा संबंधों को मजबूत बनाने पर सहमति के साथ समाप्त हो गया। हालांकि इस बहुप्रतीक्षित सम्मेलन से कारोबार के मोर्चे पर बहुत कुछ होने की उम्मीदें की जा रही थीं, लेकिन इस पर कोई ठोस परिणाम देखने को नहीं मिला।

Joint statement by India EU

  • बहरहाल सम्मेलन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि दोनों पक्षों का आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम करने और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बनी सहमति रही।
  • दोनों के संयुक्त बयान में पठानकोट, उड़ी, नगरोटा, अनंतनाग (अमरनाथ यात्रा), श्रीनगर, पेरिस, ब्रसेल्स, नीस, बर्लिन, लंदन, स्टॉकहोम, मैनचेस्टर, बर्सिलोना, टुर्कु और अन्य स्थानों पर हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की गई और नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों को याद करते हुए उसके साजिशकर्ताओं को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की गई ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।
  •  इसके अलावा भारत और EU हिंद महासागर और अन्य सागरीय क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा के मामले में आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए। निश्चित रूप से यह निर्णय आने वाले दिनों में दोनों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूती प्रदान करेगा।
  • सम्मेलन में बनी सहमति के आधार पर अदन की खाड़ी में ईयू नौसैनिक बल अटलांटा और भारतीय नौसेना के जवान जल्द ही सामरिक युद्ध अभ्यास आरंभ करेंगे।
  • इसके जरिये दोनों पक्ष एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटने के गुण सीख सकेंगे। जाहिर है यह अभ्यास कई मायनों में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
  • इसके अतिरिक्त दोनों के बीच जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण जैसे मुद्दे भी चर्चा का केंद्र बने। इन विषयों पर दोनों की नजदीकी साफ तौर पर देखी जा सकती है।
  •  प्रधानमंत्री ने पेरिस समझौते पर भारत की प्रतिबद्धता एक बार फिर दोहराई। उन्होंने कहा कि 2015 के पेरिस समझौते के तहत हम स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन, दोनों के प्रति पूर्ण रूप से वचनबद्ध हैं। जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करना और सुरक्षित, किफायती और सतत ऊर्जा की आपूर्ति हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं। अक्षय ऊर्जा की लागत घटाने के लिए परस्पर सहयोग की भावना विकसित करने की अपनी जिम्मेदारी पर भी हम पहले की तरह भलीभांति कायम हैं।
  • रोहिंग्या समस्या भी दोनों की बातचीत में छाई रही। साझा बयान में कहा गया कि यह हिंसा अराकान रोहिंग्या सॉल्वेशन आर्मी (एआरएसए) के उग्रवादियों के हमलों से भड़की है जिसके चलते क्षेत्र की बड़ी आबादी के साथ-साथ सुरक्षा बलों को भी भारी क्षति पहुंची है।

European Union Current Situation

  • आज European Union कठिन दौर से गुजर रहा है। ब्रेक्जिट की प्रक्रिया अभी पूरी होनी है और कई सदस्य देश राष्ट्रीय संप्रभुता के संबंध में ब्रसेल्स के अधिकार पर सवाल उठा रहे हैं।
  • ब्रसेल्स की तरह ही इन दिनों कैटेलोनिया संकट ने भी क्षेत्र में संप्रभुता पर नए सिरे से बहस को जिंदा कर दिया है। यह परिवर्तन ईयू को भारत को दिए इस आश्वासन में भी नजर आया जिसमें कहा गया कि यहां तक कि ब्रेक्जिट के बाद भी भारत-ईयू के संबंधों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

EU & INDIA

  • EU भारत में सबसे बड़ा निवेशक बना हुआ है और अब भी भारत के वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 13 प्रतिशत से ज्यादा बनी हुई है।
  • यूरोपीय आयोग के प्रेसिडेंट जीन क्लाउड जंकर ने कहा कि दोनों के बीच बराबर मात्रा में आयात-निर्यात के साथ कारोबार करीब-करीब संतुलित है। मार्च 2019 में जब ब्रिटेन ईयू को अलविदा कह देगा तब भी स्थिति कमोबेश यही बनी रहेगी।

No agreement on Free trade

इतना सब कुछ कहे जाने के बाद भी सम्मेलन की सबसे निराशाजनक बात यह रही कि इस बार भी मुक्त व्यापार पर लंबे समय से कायम गतिरोध नहीं टूट सका। दोनों के बीच इस विषय पर कोई समझौता नहीं हो सका।

  • प्रस्तावित ईयू-भारत ब्रॉड बेस्ड टे्रड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट यानी ईयू-भारत के बीच व्यापार आधारित व्यापार और निवेश समझौते पर वार्ता की शुरुआत 2007 में हुई थी और तब से यह बातचीत मतभेद के विभिन्न मुद्दों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार पर ढिलाई बरतने, ऑटोमोबाइल और स्पिरिट पर शुल्क की कटौती की मांग पर अटकी हुई है।
  • भारत और ईयू, दोनों ओर के शीर्ष नेतृत्व की प्रतिबद्धता के बावजूद व्यापार के मोर्चे पर छाए उदासीनता के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं।
  • इसी महीने मराकेश में वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की यूरोपीय संघ के टे्रड कमिश्नर सेसिलिया माल्मस्ट्रोम के साथ अच्छी बातचीत हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं।

What are the opposing points

  • दरअसल साल 2013 में अंतिम दौर की वार्ता के बाद से ही दोनों के बीच ऑटोमोबाइल और शराब एवं स्पिरिट पर टैरिफ यानी तटकर की दर सहित कई मुद्दों पर गतिरोध बरकरार है।
  • भारत सेवाओं पर अनुकूल छूट हासिल करना चाहता है। इसके अलावा इसकी रुचि सूचना प्रौद्योगिकी और भारतीय पेशेवरों की निर्बाध आवाजाही में भी है। अ
  • पने कृषि उत्पादों, दवाओं और कपड़ों के लिए नए बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित कराना भी भारत की प्राथमिकता में शीर्ष पर है। ईयू के लिए वित्तीय सेवाओं में छूट मुख्य है। वह ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर भी उत्साहित है इसके लिए वह टैरिफ में कटौती की मांग कर रहा है, क्योंकि उसकी निगाह में भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के संबंध में यह ज्यादा है।
  • इसके अलावा वह बौद्धिक संपदा अधिकार के नियमों में भी ढील चाहता है। भारत निवेश सहित मुक्त व्यापार समझौते पर समग्र वार्ता करना चाहता है, जबकि ईयू सबसे पहले द्विपक्षीय निवेश संधि करना चाहता है।

नि:संदेह मुक्त व्यापार समझौता भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ संबद्ध करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके साथ-साथ इससे भारत-ईयू के रिश्तों को भी नई ऊंचाई मिलेगी जो कि अपनी संपूर्ण क्षमताओं का दोहन करने में अब तक विफल रही है। जंकर ने ठीक ही कहा कि भारत और यूरोपीय संघ के लिए मुक्त व्यापार समझौता पर आगे बढ़ने का यही सबसे उपयुक्त समय है। जैसे ही हालात सही होते हैं हम बातचीत फिर से आरंभ कर देंगे। अब देखने वाली बात यह है कि क्या हालिया सम्मेलन के बाद पैदा हुआ उत्साह असल कार्रवाई और नतीजों में परिणित होता है या नहीं और मुक्त व्यापार समझौते पर जमी बर्फ पिघलती है या नहीं। अन्यथा संशयवादी, जिन्हें भारत और ईयू के बीच सामरिक सहयोग कायम होने पर संदेह है, सही साबित हो जाएंगे

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