व्यक्तियों की तस्करी, जिसे मानव तस्करी या आधुनिक गुलामी के रूप में भी जाना जाता है, एक छिपा हुआ अपराध है, जो किसी सीमा का लिहाज नहीं करता और दुनियाभर के देशों में सभी पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है.
भारत और अमेरिका ने व्यक्तियों, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की तस्करी को प्रतिबंधित, दमित और दंडित करने के प्रोटोकॉल को, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (पालेरमो प्रोटोकॉल) के पूरक के रूप में अपनाने के लिए 170 से अधिक राष्ट्रीय पक्षों में शामिल किया है, जो कि मानव तस्करी को यौन तस्करी, अनैच्छिक गुलामी, ऋण बंधक, जबरिया मजदूरी और घरेलू दासता के रूप में परिभाषित करता है. बच्चे और अल्पसंख्यक समूह इस बुरी प्रथा के सबसे ज्यादा शिकार हैं.
Reason behind Human Trafficking
- मानव तस्करी अक्सर गरीबी का एक नतीजा मानी जाती है. काम की तलाश करनेवाले पुरुष और महिलाएं अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में मजदूरी के लिए मजबूर किये जा सकते हैं या स्वेच्छा से ऐसे अन्य राज्य या दूसरे देश में काम करने के लिए विस्थापित हो सकते हैं, जहां पर वे कर्ज या अग्रिम पगार ले सकते हैं, जो उन्हें ऋण बंधक के रूप में रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
- बेहद गरीब परिवार काम के लिए अपने बच्चों को बेच देते हैं, और कई यौन तस्करी या जबरिया मजदूरी का शिकार बन जाते हैं.
- हालांकि, बच्चों का शोषण भी, भारत की बढ़ती हुई संपन्नता का नतीजा है, क्योंकि देश के बढ़ते मध्य वर्ग, खासतौर पर कामकाजी दंपत्तियों, ने घरेलू कामगारों की एक बढ़ी हुई मांग पैदा की है- ऐसे काम जो अधिकतर महिलाओं और बच्चों द्वारा पूरे हो सकते हैं.
- सोशल मीडिया यौन तस्करों के लिए नये शिकार ढूंढने का एक आसान जरिया हैं; वे अधिकारियों द्वारा अनदेखे रह सकते हैं और संदेह न करनेवाले बच्चों के साथ-साथ काम खोजनेवाली महिलाओं को शिकार बना सकते हैं.
- तस्कर थोक संदेश भेजने में सक्षम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ह्वाॅट्सएप संदेशों को फैलाते हैं. जो जवाब देता है, उसे तस्करों के जाल में खींच लिया जाता है.
- तस्करों का सिंडिकेट अब गांवों में इंटरनेट तथा स्मार्टफोन की गहराई तक घुसपैठ का फायदा उठाता है. पहले, तस्करी की योजना में आमने-सामने की बातचीत जरूरी होती थी, लेकिन
- अब तकनीक ने तस्करों को अदृश्य बनने में मदद की है.
Indian Strategy to check Human Trafficking
- भारत सरकार चार ‘पी’ की संरचना – प्रॉसीक्यूशन (अभियोजन), प्रोटेक्शन (सुरक्षा), प्रिवेंशन (रोकथाम) और पार्टनरशिप (भागीदारी) के जरिये मानव तस्करी का मुकाबला करती है. केंद्र सरकार ने संस्थागत ढांचा तैयार किया है, जिसे राज्यों ने लागू किया है, जिसमें मानव तस्करी विरोधी इकाईयां और पीड़ितों के पुनर्वास की योजनाएं शामिल हैं.
- कुछ राज्य सरकारें अपनी ओर से जागरूकता बढ़ानेवाली गतिविधियां चलाती हैं या गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ भागीदारी करती हैं.
- कोलकाता में संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्य दूतावास ने व्यक्तियों की तस्करी पर सातवें क्षेत्रीय सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें तस्करी के समाधान के लिए अधिक सशक्त व्यवस्था के साथ क्षेत्रीय सीमापार जवाबी तंत्र विकसित करने और उभरती हुई क्षेत्रीय प्रवृत्तियों को समझने और अधिगृहीत करने के लिए हमारे शोध को व्यापक बनाने के लिए संवाद की खातिर नागरिक समितियों, स्थानीय सरकारी अधिकारियों और मानव तस्करी के विशेषज्ञों की भागीदारी शामिल थी.
- READ MORE@ GSHINDI अपर्याप्त हैं मानव तस्करी कानून (Human trafficking law)
अमेरिका में मानव तस्करी पर 15 से भी अधिक एजेंसियों से निर्मित, राष्ट्रपति की इंटरएजेंसी टास्क फोर्स मानव तस्करी के समाधान के लिए पूरे साल काम करती है, जिसमें तस्करों की दंड मुक्ति समाप्त करने के लिए अपराध और श्रम कानूनों का प्रवर्तन; पीड़ित केंद्रित पहचान और सुरक्षा सेवाएं; डेटा संकलन और शोध में नवाचार; शैक्षणिक और जन जागरूकता गतिविधियां; और रणनीतिक रूप से जुड़ी विदेशी सहायता और राजनयिक भागीदारी का तालमेल शामिल है.
अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट को इस अपराध का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी प्रयासों का नेतृत्व करने और अन्य विदेशी सरकारों के साथ द्विपक्षीय-बहुपक्षीय तरीकों से काम करने का प्रभार दिया गया है.
मानव तस्करी का अभिशाप मानव गरिमा और संवेदना का अपमान है. स्थानीय और राष्ट्रीय समूहों के साथ जुड़ने और इस बुराई को मिटाने के लिए भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के कई तरीके हैं. इसे रोकने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
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