इसरो और नासा सहयोग

The NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) mission is a joint project between NASA and ISROto co-develop and launch a dual frequency synthetic aperture radar satellite


    इसरो और जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल)/नासा संयुक्त रूप से दोहरी फ़्रिक्वेंसी (एल एंड एस बैंड) सिंथेटिक एपर्चर राडार इमेजिंग उपग्रह नासा इसरो सिंथेटिक एपर्चर राडार (एनआईएसएआर) के नाम से विकसित करने में लगी है। एल बैंड एसएआर जेपीएल/नासा द्वारा विकसित किया जा रहा है, जबकि इसरो एस-बैंड एसएआर विकसित कर रहा है। इस उपग्रह से प्राप्त एलएंडएस बैंड माइक्रोवेव डेटा विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी होगा, जिसमें प्राकृतिक संसाधन मानचित्रण और निगरानी, फसल क्रम की पूर्ण अवधि में कृषि बायोमास का आकलन, मिट्टी की नमी का आकलन करना, बाढ़ और तेल चिकनाई की निगरानी, तटीय क्षरण, तटवर्ती जल में तटीय परिवर्तन और हवाओं की भिन्नता, मैंग्रोव का आकलन, सतह विरूपण अध्ययन, बर्फ की परत गिरने और गतिशीलता आदि शामिल हैं।
    एनआईएसएआर मिशन से प्राप्त आंकड़ें जलवायु का पलटाव करने के लिए नहीं हैं। हालांकि, इस मिशन से प्राप्त आंकड़े कुछ अनुप्रयोगों को विकसित करने में उपयोगी होंगे, जिनमें (i) ऐसे स्थानों पर जहां मनुष्यों का आना जाना लगा रहता है, ताजा बर्फ से छिपे हुए ग्लेशियर में दरारों का पता लगाना (ii) हिमस्खलनों का अनुमान लगाने में इनपुट के रूप में बर्फ पैक पैरामीटर का पता लगाना (iii) ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) खतरों का अध्ययन, और (iv) बाढ़/चक्रवातों के कारण बाढ़ से जलमग्न क्षेत्र का पता लगाना शामिल हैं। ये अनुप्रयोग ऐसे उपाय करने में मददगार हो सकते हैं जिनसे मानव जीवन की क्षति को कम से कम रखा जा सके।

    पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान (आईआईटीएम) संस्थान राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए, यूएसए) के साथ मिलकर उच्च संकल्प के सामयिक और दीर्घकालिक जलवायु पूर्वानुमान के विकास के लिए मानसून मिशन और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र (सीसीसीआर) के कार्यक्रमों के माध्यम से काम कर रहा है। 2010-2015 के दौरान, आईआईटीएम और एनओएए ने मिलकर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून और दीर्घकालिक जलवायु पूर्वानुमानों की सामयिक भविष्यवाणियों के लिए उच्च संकल्प मॉडल विकसित किए हैं। यह समझौता ज्ञापन, "डायनेमिकल शॉर्ट रेंज, विस्तारित रेंज और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा का मौसमी पूर्वानुमान" के अध्ययन के विषय में, 2020 तक बढ़ाया गया है, जो एमओईएस-एनओएए साझेदारी के दायरे के भीतर है।
 

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