- भारत में मूल कोशिका उपचार अभी भी अनुसंधान मोड के अधीन है और सरकार विभिन्न आधारभूत नैदानिक पूर्व तथा क्लीनिक अनुसंधानों को सहायता प्रदान कर रही है।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने वर्ष 2002 में ‘मूल कोशिका अनुसंधान के लिए मसौदा दिशानिर्देश/विनियम’ जारी किए थे जिन पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग में व्यापक स्तर पर कार्य किया गया है जिसके परिणामस्वरूप मूल कोशिका अनुसंधान एवं थेरेपी के लिए दिशानिर्देश (2007) जारी किए गए थे।
- सभी पणधारकों से प्राप्त सूचना और परामर्श को सम्मिलित करके मसौदा दिशानिर्देश को ‘’नेशनल गाईडलाईंस फॉर स्टेम सेल रिसर्च (एनजीएससीआर)-2013’’ के तौर पर अंतिम रूप से तैयार किया गया है। यह दस्तावेज इस क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को वैज्ञानिक तौर पर उत्तरादायी और शिष्टाचार में संवेदनशील तरीके से अनुसंधान करने के लिए मार्ग दर्शन करता है। व
- र्ष 2013 के दस्तावेज में हाल ही में किए गए संशोधनों को सम्मिलित करके तथा मौजूदा नियमों और विनियमों के सम्मिश्रण के साथ संशोधन किया गया है। इस दस्तावेज को 11 अक्तूबर, 2017 को जारी किया गया। इन दिशानिर्देशों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा सभी पणधारकों को शिक्षित करने के लिए देश के विभिन्न भागों में संवितरण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। मूल कोशिका अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश-2017 के अनुसार केवल रक्त संबंधी विकारों (रक्त कैंसर और थैलिसिमिया सहित) के लिए बोन मैरो/हेमारोपोइटिक मूल कोशिका प्रत्यायोजन के लिए मूल कोशिका के उपयोग की मंजूरी दी गई है, अन्य सभी शर्तों की अनुपालना केवल मूल कोशिका अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश-2017 के अनुरूप नैदानिक परीक्षणों के कार्यक्षेत्र के अधीन की जानी है।
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली हेमाटोलॉजी पेइडियाट्रिक ऑनकोलॉजी, मेडिकल ऑनकोलोजी विभाग, इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हास्पीटल (आईआरसीएच) और स्टेम सेल फैसिलिटी जैसे विभिन्न विभागों के जरिए कैंसर और थैलिसिमिया के रोगियों के लिए मूल कोशिका इलाज की व्यवस्था कर रहा है।
- टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई जैसे अन्य अस्पताल भी मूल कोशिका इलाज उपलब्ध करवा रहे हैं।