कल्याणकारी हो कृत्रिम बुद्धिमत्ता 


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वाणिज्य मंत्रालय ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर टास्क फोर्स गठित किया है। टास्क फोर्स सरकार को सलाह देगी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का भारतीय अर्थव्यवस्था में समावेश कैसे किया जाए।


What is Artificial Intelligence


कंप्यूटर द्वारा किए गए बौद्धिक कार्य को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कहा जाता है। जैसे वर्तमान में आपको कोर्ट में कोई वाद दायर करना हो तो वकील साहब का जूनियर उस तरह के पूर्व में हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णयों का अध्ययन करता है। इसके बाद वकील साहब विचार करते हैं कि कौन से निर्णय हमारे लिए लाभकारी होंगे, जो निर्णय हमारे वाद के विपरीत दिखते हैं उनकी काट में कौन से दूसरे निर्णय कोर्ट के सामने प्रस्तुत किए जा सकते हैं। तब तय होता है कि वाद दायर करने लायक है या नहीं। तमाम समतुल्य निर्णयों का अध्ययन करने का कार्य अब कंप्यूटर द्वारा किया जा रहा है। आप कंप्यूटर को बताएंगे कि आपकी समस्या क्या है। कंप्यूटर कोर्ट के तमाम निर्णयों को खंगालेगा। इसके बाद आपको 2-4 निर्णय देगा, जो कि आपके पक्ष में होंगे और 2-4 निर्णय देगा जो कि आपके विपक्ष में होंगे। विपक्ष के निर्णयों की काट को दूसरे निर्णय बताएगा। इस रिसर्च के बाद आपके वकील के लिए वाद दायर करने में सहूलियत होगी।

Analysis of Artificial Intelligence effect


कंप्यूटर द्वारा दिए गए इस बौद्धिक कार्य के रोजगार पर दो परस्पर विपरीत प्रभाव पड़ेंगे। सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा कि वकील साहब के जूनियर का रोजगार समाप्त हो जाएगा। पूर्व में वकील साहब जूनियर से उपरोक्त रिसर्च कराते थे, जो अब कंप्यूटर कर देगा। लेकिन कंप्यूटर की मदद से वाद सही ढंग से बन सकेंगे, कहना मुश्किल है। अक्सर देखा जाता है कि वकील को वाद के विपरीत निर्णयों की जानकारी नहीं होती है। कोर्ट में प्रस्तुत होने पर वाद खारिज कर दिया जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग से वादों में सफलता के प्रतिशत में सुधार होगा, लोगों का वाद दायर करने का साहस बढ़ेगा, वादों की संख्या में वृद्धि होगी और वकीलों के कुल रोजगार में भारी वृद्धि हो सकती है।
रोजगार पर इसी तरह का सुप्रभाव बुनाई करने की मशीनों का पड़ा था। 
आज से 500 वर्ष पूर्व एक आविष्कारक इंग्लैंड की महारानी एलीजाबेथ प्रथम के पास गए और स्वेटर की बुनाई करने की मशीन के आविष्कार का पेटंेट जारी करने का निवेदन किया। महारानी ने पेटेंट देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘मेरी उन गरीब महिलाओं और असंरक्षित कुंआरियों के प्रति अपार सहानुभूति है, जो कि बुनाई करके अपनी दैनिक रोटी अर्जित करती है। मैं ऐसे अविष्कार को नहीं बढ़ा सकती हूं, जो उन्हें उनकी जीविका से वंचित करके भुखमरी के द्वार लाकर खड़ा कर दे।’ महारानी द्वारा पेटेंट न दिए जाने के बावजूद बुनाई मशीनों का उपयोग बढ़ा। तमाम कुंआरियां बेरोजगार हो गईं। परन्तु साथ-साथ बुनी हुई स्वेटर के दाम में भारी गिरावट आई। लोगों ने ज्यादा मात्रा में स्वेटर खरीदना चालू किया। बुनाई की मशीनें बनाने, मशीनों की देखरेख करने, ज्यादा मात्रा में बने माल की पैकिंग एवं वितरण करने, मशीन से नई डिजाइन की स्वेटर बनाने इत्यादि में तमाम नए रोजगार बने। अंत में बुनाई मशीन का समाज एवं अर्थव्यवस्था पर सुप्रभाव पड़ा, जो कुंआरियां स्वेटर बुनकर अपनी दैनिक रोटी अर्जित करती थीं, वे अब स्कूल जाने लगीं। पढ़कर वे मशीन पर डिजाइन करने का रोजगार प्राप्त करने लगीं। आम आदमी को स्वेटर की उपलब्धता भी बढ़ी।
Need to equip youth and build their capacity
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सामना करने के लिए हमें अपने युवाओं को उन रोजगारों को हासिल करने के लिए सक्षम बनाना होगा जो कि कंप्यूटर के उपयोग के बाद भी बनते रहेंगे। जैसे ऑनलाइन ट्यूटोरियल को कतिपय कंप्यूटर से छात्र हासिल कर सकता है। मगर बच्चों को नर्सरी स्कूल में शिक्षा कंप्यूटर से कम ही दी जा सकेगी। छोटे बच्चे नर्सरी में जाने पर रोते हैं। उन्हें मां का प्यार चाहिए जो कंप्यूटर कम ही दे सकता है। इसलिए हमें दोनों स्तर पर कार्य करना होगा। एक तरफ अपने युवाओं को ऑनलाइन ट्यूटोरियल के सॉफ्टवेयर बनाने की ट्रेनिंग देनी होगी, जिससे वे उत्तम क्वालिटी का सॉफ्टवेयर बना सकें और जीविकोपार्जन कर सकें। दूसरी तरफ नर्सरी शिक्षा की ट्रेªनिंग देनी होगी चूंकि अधिकाधिक संख्या में अभिभावकों द्वारा बच्चों को नर्सरी स्कूल में भेजा जाएगा।

इसी तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऑनलाइन सलाह उपलब्ध हो सकती है। ऐसा सॉफ्टवेयर संभवतः बनाया जा सकता है, जिसमें आप अपनी बीमारी का पूरा विवरण दर्ज करें जैसे बुखार, बीपी, शूगर, खांसी की अवधि, पसीना आना इत्यादि। इसके बाद सॉफ्टवेयर द्वारा आपसे कुछ पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इनका जवाब देने के बाद कंप्यूटर आपको पर्चा लिखकर दे सकता है। ऐसा सॉफ्टवेयर बनने से लोगों को मेडिकल सलाह सस्ते में उपलब्ध हो सकती है। उन्हें स्वास्थ्य लाभ होगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस क्षेत्र में भी दो तरह से अपने युवाओं को ट्रेनिंग देने की जरूरत है। उन्हें मेडिकल सलाह देने के सॉफ्टवेयर लिखने की ट्रेनिंग देनी चाहिए। मेरे एक मित्र के युवा बेटे ने गोल्फ के खिलाड़ियों को सलाह देने का सॉफ्टवेयर बनाया है। खिलाड़ी को अपने स्ट्रोक की वीडियो सॉफ्टवेयर में लोड करनी होती है। सॉफ्टवेयर विश्लेषण करके बताता है कि स्ट्रोक को कैसे सुधारा जा सकता है। इसी प्रकार बीमारियों के विश्लेषण के सॉफ्टवेयर लिखे जा सकते हैं। बीमारियों का उपचार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग पद्धतियों से किया जाता है। अतः तमाम बीमारियों, तमाम उपचार पद्धतियों एवं तमाम भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर लिखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही तमाम ऐसे कार्य हैं, जो संभवतः कंप्यूटर द्वारा कभी न किए जा सकें। जैसे घुटना बदलने की सर्जरी करना, फिजियोथेरैपी कराना, पंचकर्म का उपचार करना इत्यादि। स्वास्थ्य उपचार के ऑनलाइन उपलब्ध हो जाने से इन क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी। इस उभरती मांग को रोजगार में बदलने के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देना जरूरी है।


कुछ क्षेत्र हैं, जिनमें कंप्यूटर द्वारा सुविधाएं शायद कभी भी उपलब्ध न कराई जा सके। वाशिंगटन पोस्ट अखबार ने इस विषय पर कुछ विशेषज्ञों से बातचीत की, जिन्होंने सुझाया कि उन स्किल की भविष्य में ज्यादा जरूरत पड़ेगी जो ‘सृजनात्मक है, सहभागिता आधारित हैं, जो विभिन्न वातावरणों में कार्य कर सकते हैं, जो विभिन्न संस्कृतियों को समझ सकते हैं, और जिनमें सामाजिक एवं भावनात्मक क्षमता है।’ ये क्षमता आर्ट्स से संबंधित है, जैसे भाषा, संस्कृति, पेंटिग, कला, साहित्य आदि से। इन क्षेत्रों में कंप्यूटर द्वारा प्रवेश कठिन है जैसे तुलसी की रामायण अथवा बाईबल को कंप्यूटर शायद ही लिख सके। अतः हमें अपनी युवा पीढ़ी को आर्ट्स के विषयों के महत्व को समझाना चाहिए।

भारत सरकार द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर टास्क फोर्स बनाए जाने का स्वागत है। जरूरत है कि इस उभरते क्षेत्र के प्रति हम सकारात्मक रुख अपनाएं। विशेषकर उन सेवाओं पर ध्यान दें, जो कंप्यूटर द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जा सकेगी। आर्ट्स और कंप्यूटर के जोड़ से नए क्षेत्रों में हमारे युवा रोजगार हासिल कर सकेंगे। इस दिशा में टास्क फोर्स को सोचना चाहिए।
 

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