- 2022 में भारत उन देशों में शुमार हो जाएगा, जो अंतरिक्ष में इंसान को भेजने में सक्षम हैं। अभी इस सूची में मात्र तीन देश हैं। रूस ने यह उपलब्धि सबसे पहले हासिल की थी। उसने 1961 में ही यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रच दिया था। फिर अमेरिका ने यह कारनामा दोहराया और तीसरी उपलब्धि चीन के खाते में आई है।
- ‘गगनयान’ जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह हमारा सबसे भारी-भरकम और सफल रॉकेट है
- 2014 में ही इसरो क्रू मॉड्यूल टेस्ट कर चुका है। क्रू मॉड्यूल वही ढांचा होता है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री बैठते हैं और सुरक्षित घरती पर लौटते हैं। ‘स्पेस सूट’ तो हम तैयार कर ही चुके हैं। साफ है कि अब एक प्रोजेक्ट के तौर पर इस मिशन को आगे बढ़ाने की देर है। इसरो ने भी कहा ही है कि वह पहले दो मानव रहित यान भेजेगा और फिर मानव मिशन।
Hurdles
- इसरो की चिंता यह है कि अभी उसके पास ‘बायोलॉजिकल साइंटिस्ट’ और ‘ह्यूमन मेडिकल सिस्टम’ के अच्छे विशेषज्ञ नहीं हैं। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जो जीवन रक्षक तंत्र बनाया जाएगा, उसमें इन विशेषज्ञों की खासी जरूरत होती है। हो सकता है कि इसके लिए भारतीय वायुसेना और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरो स्पेस मेडिसिन से मदद मांगी जाए।
- चुनौती जीएसएलवी मार्क-3 का लगातार सफल प्रक्षेपण होने की भी है। अभी तक इसका एक ही सफल प्रक्षेपण हुआ है। आने वाले दिनों में अगर इसका एक भी प्रक्षेपण असफल हुआ, तो अंतरिक्ष में मानव को भेजने की इस योजना पर ग्रहण लग सकता है।