इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता

Some facts

Ø  बात अगर आंकड़ों की करें तो आज दुनिया की आधी आबादी तक इंटरनेट की पहुंच है और भारत में करीब 500 मिलियन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं।

 

जरा कल्पना कीजिए दुनिया में अगर इंटरनेट न होता तो क्या होता? न तो सोशल मीडिया होता और न ही दुनिया इतनी ग्लोबल हो पाती जितनी आज है। न ही हम मिस्न की क्रांति को जान पाते और ही भारत के सुदूर गांव में बैठा आदमी अन्ना हजारे के आंदोलन को समझ पाता। हमारी मॉर्डन सोसायटी में लड़का हो या लड़की सुबह उठकर सबसे पहले अपने मोबाइल में फेसबुक और ट्विटर को ही चेक करते हैं। आज के दौर में अगर इंटरनेट को समाज के लिए ऑक्सीजन कहा जाए तो कुछ भी गलत नहीं होगा।

 

Start of Internet era

49 वर्ष पहले आज ही के दिन अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस की शुरुआत हुई थी। दरअसल अमेरिकी रक्षा विभाग ने सेना के लिए एक कंप्यूटर नेटवर्क तैयार किया था ताकि परमाणु युद्ध शुरू होने की स्थिति में सूचना का आदान-प्रदान आसानी से किया जा सके। तब इसे इंटरनेट अरपानेट के रूप में जाना जाता था। चार्ली क्लाइन दुनिया के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 29 अक्टूबर, 1969 को पहली बार इलेक्ट्रॉनिक संदेश प्रेषित किया था।

Ø  1972 में रे टॉमलिंसन ने इंटरनेट का इस्तेमाल कर पहला ईमेल भेजा था। वर्ष 1989 में टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को और सरल बनाने के लिए ब्राउजरों, पन्नों और लिंक का उपयोग करके वर्ड वाइड वेब बनाया था।

India & Internet

Ø  हालांकि हमारे देश में इंटरनेट की शुरुआत वर्ष 1995 को तब हुई जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिये दुनिया के अन्य कंप्यूटरों से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया।

Ø  वह दौर था साइबर कैफे का, जो कि शहरों में इक्का-दुक्का ही हुआ करते थे। ऐसा इसलिए, क्योंकि तब देश में इंटरनेट व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए नहीं था।

Ø   वक्त बदला और डेस्कटॉप सस्ते होने लगे, जिसके चलते इंटरनेट भी लोगों के घरों तक पहुंचना शुरू कर दिया। आज के सर्वसुलभ समाज में हमारे हाथ में इंटरनेट आ चुका है।

Ø  हम अपने स्मार्टफोन पर कभी भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं जियो के आगमन के बाद सस्ते इंटरनेट ने तो हर उस आदमी को सोशल मीडिया पर ला दिया है, जो कि पहले सिर्फ इंटरनेट का नाम भर जानता था।

 

पूरे विश्व को एक गांव में तब्दील करने का काम यकीनन इंटरनेट ने ही किया है। मेट्रो शहरों में रहने वाले लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के बाद अगर कोई अन्य बुनियादी जरूरत है तो वह बेशक इंटरनेट ही है। यह इंटरनेट ही है जिसने अखबारों, किताबों और किराने के दुकानों में खरीदारी एवं होटलों में जाकर खाना खाने के चस्के को कम कर दिया है। अब पढ़ने से लेकर खाने तक सबकुछ ऑनलाइन हो चुका है। यानी आपको इन कामों के लिए अपने बिस्तर से हिलने की भी जरूरत नहीं। आपको बस अपना मोबाइल उठाना होगा और एक क्लिक में आपका सारा काम हो जाएगा। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर हमारी लाइफ में इंटरनेट न होता तो हम न सिर्फ अपने देश से, बल्कि दुनिया से भी अनजान रहते।

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