वैज्ञानिकों ने पहली बार गुरुत्वीय तरंगों की उत्पत्ति के समय पैदा होने वाले प्रकाश को भी देखा

Gravitational waves detected on 17th August has special significance. These originated not duet to  Black hole merger but due to merger of two neutron stars

#Satyagriha

11 फरवरी 2016 को अमेरिका, जर्मनी तथा उन अन्य देशों में – जहां के वैज्ञानिक गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व का पता लगाने के लिए अमेरिका में वर्षों से चल रहे अंतरराष्ट्रीय ‘लीगो’ (लेज़र- इंटरफ़ेरोमीटर ग्रैविटेश्नलवेव ऑब्ज़र्वैटोरियम) प्रयोग से जुड़े हुए हैं – एक साथ यह घोषणा की गई थी कि ब्रह्मांड में गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व का सीधा प्रमाण मिल गया है. अमेरिका की ‘लीगो’ वेधशाला एक अरब 10 करोड़ डॉलर की लागत से बनी भारत सहित 16 देशों के क़रीब एक हज़ार वैज्ञानिकों की मिली-जुली उपलब्धि है. इस वेधशाला के लुइज़ियाना और वाशिंगटन राज्यों में स्थित दो लेजर-डिटेक्टरों ने, पहली बार 14 सितंबर 2015 के दिन, एक-दूसरे में विलीन हो गए दो विशाल कृष्णविवरों (ब्लैक होल ) द्वारा पैदा की गई गुरुत्व तरंग दर्ज की थी.

When Gravitational wave originates?

  • ब्रह्मांड में ये गुरुत्वीय तरंगें तब पैदा होती हैं, जब तारों जैसे बहुत भारी-भरकम आकाशीय पिंडों की गति – उदाहरण के लिए उनके जीवन के अंतकाल में – तेज़ी से बढ़ने लगती है, उनमें विस्फोट होता है या जब दो विराटकाय ब्लैक होल एक-दूसरे को खींचते हुए आपस में टकराकर एक हो जाते हैं. तारों में विस्फोट या ब्लैकहोलों के बीच टकराव के समय पैदा होने वाली गुरुत्वीय तरंगों से करोड़ों-अरबों प्रकाशवर्ष दूर तक के पृथ्वी जैसे आकाशीय पिंड भी थर्रा जाते हैं. उनके आकार-प्रकार में क्षणिक घट-बढ़ पैदा होती है.
  • यह घट-बढ़ हवा के किसी झोंके के कारण नहीं (अंतरिक्ष वायुशून्य है), बल्कि इस कारण पैदा होती है कि अतिविशाल पिंडों की गति में आए त्वरण (एक्सिलरेशन) से दिक (स्पेस/अंतरिक्ष) के आकार में खिंचाव-तनाव आने से उतार-चढ़ाव पैदा होते हैं.
  • गुरुत्वीय तरंगें भी प्रकाश की गति से अंतरिक्ष में उसी तरह फैलती हैं, जिस तरह किसी तालाब के स्थिर पानी में फेंके गए कंकड़ से लहरें पैदा होती और फैलती हैं. कोई चीज़ जितनी ही अधिक द्रव्यराशि वाली, अर्थात जितनी ही भारी होगी, और जितने ही अधिक त्वरण के साथ गतिशील होती जायेगी, अंतरिक्ष को हिलाने-डुलाने वाली उतनी ही बलशाली गुरुत्वीय तरंगें् भी पैदा करेगी. सिद्धांततः हमारा गतिमान शरीर, कारें, ट्रेनें या हमारे विमान भी गुरुत्वीय तरंगें पैदा करते हैं, पर इतनी क्षीण कि उन्हें मापने लायक कोई डिटेक्टर शायद कभी बन ही नहीं पायेगा.

Special about 17 august 2017 detection:

  • 2017 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा के दो ही सप्ताह बाद, 16 अक्टूबर को, गुरुत्वीय तरंगें पैदा करने वाली एक नयी अद्भुत घटना का समाचार आया. खगोल वैज्ञानिकों ने 17 अगस्त को पहली बार पाया था कि इस बार कोई ब्लैकहोल नहीं टकराये थे, बल्कि दो न्यूट्रॉन तारे एक-दूसरे के फेरे लगाते हुए आपस में मिलकर एक हो गये थे.
  • इससे न केवल अदृश्य गुरत्वीय तरंगें निकलीं, विद्युतचुंबकीय (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक) तरंगों के रूप में दृश्यमान और अदृश्य प्रकाश भी पैदा हुआ.
  • यह अनुमान तो पहले भी लगाया जाता था कि न्यूट्रॉन तारों की टक्कर या उनके आपस में जुड़ने से गुरुत्वीय तरंगें पैदा होती होंगी. पर, 17 अगस्त 2017 से पहले इसके प्रमाण कभी मिल नहीं पाये थे
  • इस बार, अमेरिका के ‘लीगो’ डिटेक्टर के साथ-साथ इटली के नवनिर्मित ‘विर्गो’ डिटेक्टर ने भी गुरुत्वीय तरंगें दर्ज कीं. अपनी एक तरफ झुकी हुई मीनार के लिए प्रसिद्ध इटली के पीसा शहर के पास बनी ‘विर्गो’ वेधशाला ने अगस्त में ही काम करना शुरू किया था. साथ ही अमेरिका के ‘फेर्मी गामा-किरण अंतरिक्ष दूरदर्शी’ (फ़ेर्मी गामा-रे स्पेस टेलिस्कोप) ने उसी समय अत्यंत शक्तिशाली गामा-किरणों वाली बिजली जैसी एक कौंध भी देखी.

What are neutron stars

  • न्यूट्रॉन तारे ऐसे तारों को कहा जाता है, जो कभी बहुत विराट हुआ करते थे, पर अपने जीवनकाल की अंतिम अवस्था में अपने भार से मानो खुद ही चरमराते हुए सिमट कर बहुत ही छोटे–पर अकल्पनीय ठोस और भारी-आकाशीय पिंड-भर रह गये हैं. उ
  • न्हें न्यूट्रॉन तारे इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनके अणुओं-परमाणुओं के भीतर के इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन कण भीषण दबाव के बीच संलयित होकर न्यूट्रॉन बन गये होते हैं. इस संलयन के कारण उनका आकार इतना छोटा, पर साथ ही इतना ठोस हो जाता है कि केवल 20 किलोमीटर व्यास वाले तारे का भार हमारे सूर्य के दो गुने वज़न के बराबर हो सकता है. एक ऐसे तारे के द्रव्य की, चाय के चम्मच के बराबर छोटी-सी मात्रा का भार भी, हमारी पृथ्वी पर एक अरब टन के बराबर बैठेगा!

गुरुत्व तरंगें भी प्रकाश जैसी गतिमान

  • गुरुत्व तरंगों के 1.7 सेकंड बाद देखी गई इस कौंध से यही पुष्ट होता है कि गुरुत्व तरंगें भी प्रकाश की गति से फैलती हैं. इस बात की पुष्टि, कि दोनों संकेतों का स्रोत 13 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर ‘एनजीसी 4993’ नाम की एक ज्योतिर्माला (गैलेक्सी) में होना चाहिये, चिली में स्थित ‘लास कम्पानास’ वेधशाला ने की. इस वेधशाला ने स्रोत से आये प्रकाश में अवरक्त (इन्फारेड), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट) और क्ष-किरणों (एक्स-रे) की अलग से पहचान भी की. 17 अगस्त को वास्तव में संसार भर के क़रीब 70 विभिन्न प्रकार के दूरदर्शी ‘एनजीसी 4993’ ज्योतिर्माला पर टकटकी लगाए हुए थे, क्योंकि कुछ समय से ऐसे संकेत मिल रहे थे कि वहां दो न्यूटॅॉन तारे एक-दूसरे के निकट आते हुए युगल-नृत्य कर रहे हैं.
  • दो न्यूट्रॉन तारों के विलय से पैदा हुई गुरुत्वीय और विद्युतचंबंकीय तरंगों संबंधी नये अवलोकन और उनकी व्याख्याओं की खगोल-भौतिकी की दृष्टि से दो प्रमुख विशेषताएं बतायी जा रही हैं. एक तो यह कि ब्रह्मांड में इस तरह की क्रियाएं होती रहती हैं. उनसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विस्तार और अनोखेपन के बारे में जानने की हमें नयी संभावनाएं मिलती हैं. दूसरी विशेषता यह है कि पहली बार एक ऐसी प्रक्रिया देखने में आयी, जिससे पता चलता है कि ब्रह्मांड में वे रासायनिक तत्व (एलिमेंट) कैसे बनते हैं, जो लोहे से भी भारी होते हैं.

भारी तत्वों के निर्माण का रहस्य

  • हल्के तत्व तो तारों के भीतर की भीषण गर्मी से निरंतर चलने वाली परमाणविक संलयन (फ्यूज़न) क्रिया से बनते हैं. उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन परमाणुओं के मेल से हीलियम बनता है. हीलियम से कार्बन बनता है. बहुत ही विराटकाय तारों के गर्भ में इसी प्रकार लोहा भी बनता होगा. लेकिन, लोहे से भी भारी कैडमियम, सेने, चांदी या प्लेटिनम, यूरेनियम आदि के बनने के लिए यह व्याख्या काफ़ी नहीं है. उनके बनने की कोई और ही प्रक्रिया होनी चाहिये.
  • वैज्ञानिक काफ़ी समय से अटकलें लगा रहे हैं कि हो-न-हो, लोहे से भी भारी तत्वों के परमाणु न्यूट्रॉन तारों के बीच टक्करों और उनके विलय से बनते हों. वे कहते हैं कि हो सकता है कि ऐसी टक्करों के समय न्यूट्रॉनों की भरमार वाले इन तारों में शेष बचे परमाणु, उनके न्यूट्रॉनों की भीड़ में से कुछेक को खींच कर अपने साथ बांध लेते हों. ये न्यूट्रान टूट कर पुनः इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन में बदल जाते हों और इस तरह उन्हें खींचने वाला परमाणु लोहे से भी भारी किसी तत्व का परमाणु बन जाता हो. काफ़ी विश्वसनीय लगने वाले इस तरह के वैज्ञानिक सिद्धांतों को प्रयोगशालाओं में अभी तक साकार नहीं किया जा सका है.
  • 17 अगस्त को वैज्ञानिकों ने जिन दो न्यूट्रॉन तारों के विलय से पैदा हुई गुरुत्वीय एवं विद्युतचुंबकीय तरंगों से जुड़े आंकड़े (डेटा) जमा किये, उनसे उन्हें लगता है कि सोने या प्लेटिनम जैसे मूल्यवान भारी तत्व न्यूट्रॉन तारों की टक्करों से उनके भीतर मची उथल-पुथल के दौरान ही बनते होंगे. जो भी हो, इतना तय है कि पृथ्वी पर सोना-चांदी बनाने का कोई तरीका मिले या न मिले, ब्रह्मांड की गुत्थियों को और भी बेहतर ढंग से सुलझाने के लिए गुरत्वीय तरंगों की खोज में लगे वैज्ञानिकों और खगोल-भौतिकी के उनके समकक्षों को एक-दूसरे के और निकट आना और आपसी सहयोग बढ़ाना होगा.

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