बायोमॉलिक्यूल अर्थात जैव अणुओं की गतिविधियों को कैद करने में सक्षम क्रायो इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी विकसित करने वाले तीन वैज्ञानिकों को इस साल के रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा।
नोबेल समिति ने पुरस्कार के लिए जैक्स डबोशे (स्विट्जरलैंड), जोएचिम फ्रैंक (अमेरिका) और रिचर्ड हेंडरसन (ब्रिटेन) के नामों की घोषणा की।
तीनों वैज्ञानिकों के प्रयासों से प्रोटीन और अन्य मॉलिक्यूल को जमी हुई(फ्रोजेन)अवस्था में लाकर चित्र लिया गया ताकि उनके प्राकृतिक आकार को बरकरार रखा जा सके।
इससे जीवन की जटिल रचनाओं के बारे में बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा। मालूम हो कि इससे पहले इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से डेड मैटर की ही तस्वीरें ली जाती थीं, क्योंकि इलेक्ट्रॉन बीम जैविक पदार्थो को नष्ट कर देता है।
नोबेल समिति के सदस्य पीटर ब्रजिंस्की ने कहा, ‘यह किसी फिल्म के फ्रेम की तरह है। प्रत्येक चित्र एक फ्रेम को दर्शाता है, जिन्हें एक साथ रखकर एक फिल्म की तरह देखा जा सकता है कि मॉलिक्यूल क्या करते हैं।’
इससे जीका वायरस की सतह पर मौजूद उस प्रोटीन का चित्र लेना भी संभव हो सका जो इसे दवा प्रतिरोधी बनाते हैं। बायोमॉलिक्यूल की 3डी तस्वीर की मदद से भविष्य में अनेक बीमारियों से निपटने में सक्षम दवाएं विकसित की जा सकेंगी।