SN2016aps ना केवल सामान्य सुपरनोवा से 10 गुना अधिक शक्तिशाली है बल्कि उससे करीब 500 गुना ज्यादा चमकदार भी. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सुपरनोवा दो विशाल तारों के आपस में टकरा कर एक हो जाने के दौरान बना है.
जैसे दो सूर्य आपस में टकराएं
असल में आमतौर पर ऐसे सुपरनोवा अपनी कुल ऊर्जा का केवल एक फीसदी दिखने वाले प्रकाश की रेंज में उत्सर्जित करते हैं. लेकिन SN2016aps इससे कहीं बड़ा हिस्सा इस दृश्य प्रकाश के रूप में निकालता है. वैज्ञानिकों ने इस सुपरनोवा में इतनी ऊर्जा होने का अनुमान लगाया है जो 200 ट्रिलियन ट्रिलियन गीगाटन टीएनटी के विस्फोट के बराबर होगी.
इस तरह की असामान्य ऊर्जा वाले सुपरनोवा के आसपास के बादल में हाइड्रोजन की बहुत अधिक मात्रा होने का पता चला है. रिसर्चरों ने इसका अर्थ यह निकाला है कि यह सुपरनोवा जरूर हमारे सूर्य जैसे दो तारों के आपस में मिल जाने के कारण बना होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी घटना का जिक्र अब तक केवल सैद्धांतिक तौर पर होता आया था लेकिन पहली बार ऐसा कुछ होने का प्रमाण मिला है. उन्हें उम्मीद है कि आगे इससे मिलते जुलते और सुपरनोवा का भी पता चलेगा जिनसे यह जानने में मदद मिलेगी कि बहुत पहले हमारा ब्रह्मांड और उसका माहौल कैसा हुआ करता था.
क्या होता है सुपरनोवा
किसी बुजुर्ग तारे के टूटने से वहां जो ऊर्जा पैदा होती है, उसे ही सुपरनोवा कहते हैं. कई बार एक तारे से जितनी ऊर्जा निकलती है, वह हमारे सौरमंडल के सबसे मजबूत सदस्य सूर्य के पूरे जीवनकाल में निकलने वाली ऊर्जा से भी ज्यादा होती है. सुपरनोवा की ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है कि उसके आगे हमारी धरती की आकाशगंगा कई हफ्तों तक फीकी पड़ सकती है.
आमतौर पर सुपरनोवा के निर्माण में व्हाइट ड्वार्फ की अहम भूमिका होती है जिसके एक चम्मच द्रव्य का वजन भी करीब 10 टन तक हो सकता है. ज्यादातर व्हाइट ड्वार्फ गर्म होते होते अचानक गायब हो जाते हैं. लेकिन कुछ गिने चुने व्हाइट ड्वार्फ दूसरे तारों से मिल कर सुपरनोवा का निर्माण करते हैं. लेकिन इस बार दिखे सुपरनोवा में व्हाइट ड्वार्फ तारे से नहीं टकराया बल्कि दो तारे ही आपस में टकराए हैं और अंतरिक्ष विज्ञान के आज तक के इतिहास का सबसे बड़ा सुपरनोवा पैदा कर गए हैं.
Reference: dw.com