वायरल महामारी और नैनोमशीनें

दुनिया के सामने जिस अगली महामारी से निपटने की चुनौती आएगी, संभावना है कि उससे ऐसी NANO-MACHINES ही लड़ेंगी.

यह मिनिस्क्यूल रोबोट इतने छोटे हैं जिन्हें शरीर के भीतर भेजना संभव है. और अब यही रिसर्चर अपने इस आविष्कार को भविष्य की जानलेवा वायरल महामारियों से लड़ने के लिए भी तैयार करना चाहते हैं|

ऐसे नैनो आकार के रोबोट असल में सिंथेटिक पॉलीमर्स, प्रोटीन, जेनेटिक पदार्थों और ऑर्गेनिक कंपाउंड्स से बने होते हैं. यह शरीर के भीतर विचरण कर सकते हैं और घूमते हुए उन वायरसों तक पहुंच कर सकते हैं जिन्हें खत्म करना है.

यह वायरस की पहचान करने, उनकी जांच करने और फिर उनके अंदर दाखिल होकर उन्हें नष्ट करने में सक्षम होते हैं. इलाज के दूसरे तरीकों में शरीर की प्रतिरोधी कोशिकाओं को वायरल कणों पर हमला करने के लिए "ट्रेन" किया जाता है|

WHY THESE ARE CALLED NANOMACHINES

इन्हें नैनोमशीन इसलिए कहा जाता है क्योंकि आकार में ये 100 नैनोमीटर से भी छोटी होती हैं. यह गोलाकार डिवाइस शरीर के गर्मी और प्रकाश से चलती हैं. इन के चारों ओर एक हाइड्रोफिलिक कवच होता है जो इन्हें शरीर के इम्यून सिस्टम को सक्रिय करने से बचाता है

CORONA & NANOMEDICINES

कोरोना के इलाज में इस तकनीक के इस्तेमाल पर टोक्यो यूनिवर्सिटी में बायोइंजीनियरिंग के प्रोफेसर सातोशी उचीडा का कहना है, "कोरोना वायरस जैसे संक्रमण से आण्विक स्तर पर लड़ने के लिए दवा बनाना बेहद मुश्किल है और इसके लंबा वक्त लगता है.”

उन्होंने कहा कि ऐसी महामारी से निपटने में समय बचाना अहम होता है इसलिए उससे लड़ने के लिए नैनोमशीनें नहीं बल्कि "ऐसी मैक्रोमॉलिक्यूलर दवाएं और बायो कंपाउंड्स ज्यादा कारगर होंगे जो शरीर मे प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड पर असर डालें." ऐसे ही तरीकों पर फिलहाल विश्व भर के रिसर्चर काम कर रहे हैं.

REFRENCE: www.dw.com

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