Space waste is mounting problem and at any point of time some space satelle could burst on earth.
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एक बार फिर अंतरिक्ष से एक कृत्रिम पिंड के धरती पर गिरने की चर्चा है। खबर है कि चीनी स्पेस स्टेशन थियांगोंग-1 मार्च में किसी समय पृथ्वी से टकरा सकता है। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी इस बात की आधिकारिक घोषणा 2016 में ही कर चुकी है कि इस स्पेस स्टेशन से उसका संपर्क और नियंत्रण खत्म हो चुका है। उसके बाद से इसे खोजने की कोशिश चल रही थी। अब पता चला है कि यह मार्च में किसी वक्त पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकता है।
Counter view
हालांकि विशेषज्ञों की स्पष्ट राय है कि चिंता की कोई जरूरत नहीं है। करीब नौ टन वजनी इस चीज का वजन धरती की सतह तक पहुंचते-पहुंचते एक से चार टन ही रह जाने का अनुमान है। 1979 में 75 टन से भी ज्यादा वजनी नासा का स्पेस स्टेशन स्काईलैब गिरा था, तब दुनिया भर में घबराहट का आलम था लेकिन वह बिना कोई नुकसान पहुंचाए समुद्र में गिर कर नष्ट हो गया। बहरहाल, इस स्पेस स्टेशन का गिरना भले कोई समस्या न हो, पर इतना तय है कि यह अपने पीछे कुछ अवशेष जरूर अंतरिक्ष में छोड़कर आएगा। दरअसल, पृथ्वी की कक्षा में घूम रही छोटी चीजें न तो नीचे आती हैं, और न ऊपर जाती हैं। वे त्रिशंकु की तरह वहीं घूमती रहती हैं और अंतरिक्षयानों, उपग्रहों, स्पेस स्टेशनों के लिए खतरे का सबब बनी रहती हैं।
पिछले 60 वर्षों में जैसे-जैसे विभिन्न देशों की अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियां बढ़ी हैं, वहां धरती से पहुंचने वाला कचरा बढ़ता ही जा रहा है।
जुलाई 2016 में अमेरिकी स्ट्रैटिजिक कमान ने निकट अंतरिक्ष में 17,852 कृत्रिम वस्तुएं दर्ज की थीं, जिनमें 1419 कृत्रिम उपग्रह शामिल थे। मगर यह तो सिर्फ बड़े पिंडों की बात थी। इससे पहले 2013 की एक स्टडी में 1 सेंटीमीटर से कम बड़े 17 करोड़ कचरे पाए गए थे और 1 से 10 सेंटीमीटर के बीच आकार वाले कचरों की संख्या 6,70,000 पाई गई थी। इससे बड़े आकार वाले कचरों की अनुमानित संख्या 29,000 बताई गई थी। अंतरिक्ष में आवारा घूमती ये चीजें किसी भी अंतरिक्ष अभियान का काल बन सकती हैं। इस मुश्किल को बेकाबू होने से रोकने का एक ही तरीका है कि हमारे द्वारा वहां भेजी गई किसी भी चीज का कोई हिस्सा अलग होकर अंतरिक्ष में न छूटे।