★ भारत सरकार ने ऐलान किया है कि भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई के साथ भारतीय महिला बैंक के विलय को मंजूरी दे दी गयी है.
★ इसके पहले एसबीआई में उसके पांच सहयोगी बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद औऱ स्टेट बैंक ऑफ मैसूर का विलय पहली अप्रैल से प्रभावी करने का सरकार ने ऐलान किया था.
=>भारतीय महिला बैंक का गठन और इतिहास :-
★भारतीय महिला बैंक का गठन यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013 में किया गया था.
★ विशेष रुप से महिलाओं के लिए बने इस बैंक की देश भर में करीब 100 शाखाएं हैं. बैंक का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है और इसके करीब 500 कर्मचारी हैं.
★ पूरी कवायद का मकसद ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक तेज गति से बैंकिंग सेवाएं मुहैया करायी जा सके. साथ ही कर्ज की लागत कम हो और महिलाओं के लिए खास तौर पर प्रोडक्ट तैयार किए जाए.
★स्थापना के बाद से लेकर अब तक भारतीय महिला बैंक ने करीब 192 करोड़ रुपये का कर्ज महिलाओं को दिया है जबकि भारतीय स्टेट बैंक ने महिलाओं को 46 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है.
★एसबीआई की देश भर में 20 हजार से भी ज्यादा शाखाएं औऱ वो काफी सस्ते दर पर कर्ज मुहैया कराती है. बैंक के करीब दो लाख कर्मचारियो में से 22 फीसदी महिलाएं है.
★पूरे बैंक समूह की 126 शाखाएं खास तौर पर महिलाओं के लिए और महिलाओं द्वारा संचालित हैं. वहीं भारतीय महिला बैंक की ऐसी सिर्फ सात शाखाएं हैं.
★ इस बैंक की प्रशासकीय लागत भी काफी ज्यादा है. जबकि इतनी ही लागत पर एसबीआई ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को कर्ज दे सकता है.
★सरकार का कहना है कि वित्तीय समावेशन में उसका महिलाओं पर खासा जोर है. प्रधानमंत्री जन धन योजना में जहां ओवरड्राफ्ट्र के लिए महिलाओं को प्राथमिकताएं दी जाती हैं, वहीं प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 73 फीसदी कर्ज लेने वाली महिलाएं हैं.