- फ़ाइनैंशल स्टेबिलिटी ऐंड डिवेलपमेंट काउंसिल (एफएसडीसी) की मीटिंग में कहा गया की भारत 'किसी भी ग्लोबल शॉक से निपटने के लिए तैयार रहने पर मीटिंग में सहमति बनी है। इसमें ब्रेग्जिट और उसके संभावित नतीजे भी शामिल हैं।
- फ़ाइनैंशल सिस्टम के लिए कौन से इंस्टिट्यूशंस इंपॉर्टेंट हैं, उनकी पहचान के लिए व्यापक फ्रेमवर्क बनाने पर भी काउंसिल में चर्चा हुई।' इस साल सितंबर-दिसंबर के बीच एनआरआई डिपॉजिट के मच्योर होने के चलते 20 अरब डॉलर से अधिक रकम देश से बाहर जाने के आसार हैं। डर है कि इतनी बड़ी रकम निकलने से फ़ाइनैंशल मार्केट में खलबली मच सकती है। इससे निपटने के लिए रिजर्व बैंक ने क्या तैयारियां की हैं, उनके बारे में एफएसडीसी को जानकारी दी गई।
- बैड लोन से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक ने जो उपाय किए हैं, मीटिंग में उस पर भी चर्चा हुई।
- एफएसडीसी का मानना है कि भारत मजबूत मैक्रो-इकॉनमी, इकनॉमिक रिफॉर्म्स और बड़े विदेशी मुद्रा भंडार के चलते किसी मुश्किल हालात से निपटने के लिए तैयार है। काउंसिल ने माना कि ग्लोबल शॉक और फ़ाइनैंशल मार्केट्स में वोलैटिलिटी बड़े रिस्क हैं।
क्या है FSDC:
- इस काउंसिल को दिसंबर 2010 में बनाया गया था।
- इसका मकसद फ़ाइनैंशल स्टेबिलिटी बनाए रखना, रेग्युलेटर्स के बीच तालमेल और फ़ाइनैंशल सेक्टर डिवेलपमेंट को प्रमोट करना है। एफएसडीसी में आरबीआई गवर्नर और दूसरे फ़ाइनैंशल रेग्युलेटर्स भी शामिल हैं
- सभी फ़ाइनैंशल रेग्युलेटर, फ़ाइनैंस मिनिस्ट्री के सेक्रटरी और चीफ इकनॉमिक अडवाइजर एफएसडीसी से मेंबर हैं।