क्राउडफंडिंग क्या है ? यह कैसे की जाती है ?(All about crowd funding)

विज्ञान एवं तकनीक के इस युग ने मनुष्य को कई सौगातें दी है, जीने का नया तरीका दिया है, सोच को बदला है और जीवन को सुगम बनाने की कोशिश की गयी है. ऐसी ही एक आधुनिक सौगात है क्राउडफंडिंग.

  • विदेशों में यह लगभग स्थापित हो चुकी है और भारत में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है. तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों, जनकल्याण उपक्रमों और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं. यह भारतीय चन्दे का आयात किया हुआ एक स्वरूप है, एक प्रक्रिया है.
  • भारत में प्रचलित किसी सार्वजनिक आयोजन को लेकर लिए और दिये जाने वाले ‘चंदे’ का चलन विदेशों में ‘क्राउड फंडिंग’ के रूप में तेजी से बढ़ा. चंदे एवं क्राउड फंडिंग में जो मूल फर्क देखने को मिलता है, वह यह है कि चन्दा प्रायः धार्मिक कार्यों के लिये ही दिया जाता रहा है जबकि क्राउड फंडिंग का क्षेत्र व्यापक है और इसमें धार्मिक कार्यों के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक कार्य या व्यावसायिक कार्य जैसे पुल बनवाना, मोहल्ले की सफाई कराना, सड़क बनवाना या फिर फिल्म बनाने का काम हो, या पत्रकारिता से जुड़ा उपक्रम हो, इनमें क्राउंड फंडिंग का इस्तेमाल अब आम हो गया है
  •  इस समय दुनियाभर में क्राउडफंडिंग दो तरह के मॉडल पर काम कर रही है.
  • डोनेशन बेस्ड फंडिंग (Danation based) क्राउडफंडिंग कॉन्सेप्ट का जन्म इसी मॉडल से हुआ है. इसमें लोग किसी अच्छे प्रोडक्ट या सर्विस के लिए पैसा दान करते हैं, ताकि बाद में उन्हें वह प्रोडक्ट मिल सके.
  • इंवेस्टमेंट क्राउडफंडिंग (Investment Crowdfunding) यह आजकल सबसे अधिक चलन में है. इस तरह के मॉडल में पैसे देने वाला व्यक्ति उस कंपनी या प्रोडक्ट में हिस्सेदारी ले लेता है और बाद में उसे लाभ में हिस्सेदारी मिलती है.

=>भारत में ‘क्राउड फंडिंग' :-

- भारत में ‘क्राउड फंडिंग’ का चलन तेजी से बढ़ रहा है. तमाम सार्वजनिक योजनाओं और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं. अनेक हिन्दी फिल्में क्राउडफंडिंग के सहारे बनी है . अब विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है. आने वाले समय में क्राउडफंडिंग न केवल जीवन का हिस्सा बनेगा बल्कि अनेक बहुआयामी योजनाओं को आकार देने का आधार भी यही होगा.

- आनलाइन के इस युग में क्राउड फंडिंग का भविष्य उज्ज्वल ही दिखाई दे रहा है. पिछले साल नेपाल में आए भूकंप पीडितों के लिए एक आठ साल के बच्चे ने 26 हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग 26 लाख नेपाली रुपये) जुटाने का कारनामा कर दिखाया है. उसने यह काम लोगों से चंदा एकत्रित (क्राउडफंडिंग) करके किया है.

- पहले भारत में ऑफलाइन क्राउडफंडिंग होती थी पर अब समय बदल रहा है लोग ऑनलाइन क्राउडफंडिंग को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं. चंदे से हुई शुरुआत भले ही आज के समय में क्राउडफंडिंग के रूप में विकसित एवं लुभावनी हो गई है, लेकिन भारत जैसे देश में बिना जागरूकता इसकी राह अभी बहुत आसान नजर नहीं आ रही है.

- भारत सरकार को क्राउडफंडिंग के लिए नीति बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं. क्राउड फंडिंग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. लोग जिन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते उनके लिए दान करना नहीं चाहते हैं. इस स्थिति में लोगों को दान कराने के लिए राजी करना चुनौती भरा होता है. जब सरकार की ओर से इसको प्रोत्साहन मिलेगा और इसकी सुनियोजित योजना सामने आएगी तो लोगों का विश्वास जागेगा.

- इसके जरिए अमीर मिलकर गरीबों की मदद कर सकते हैं. इससे उन लोगों की जिंदगी में बदलाव आएगा, जो पैसों की कमी की वजह से बुनियादी जरूरतों से महरूम रह जाते हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तकनीक के मामले में भारत की दुनिया में अलग पहचान है. 
- भारत के सुनहरे भविष्य के लिए क्राउडफंडिंग अहम भूमिका निभा सकती है. क्योंकि क्राउडफंडिंग से भारत में दान का मतलब सिर्फ गरीबों और लाचारों की मदद करना समझते आ रहे हैं जो कि अब कला, विज्ञान और मनोरंजन को समृद्ध करने की भी हो जायेगी.

- ऐसा होने से क्राउडफंडिंग की उपयोगिता एवं महत्ता सहस ही बहुगुणित होकर सामने आयेंगी. हम जहां रहते हैं वहां एक-दूसरे की मदद के बिना समाज नहीं चल सकता. अगर लोग इस तरह की मदद के लिए आगे नहीं आएंगे तो पैसों की कमी के चलते अनेक सामाजिक और सार्वजनिक इकाइयां मरनासन्न होकर रसातल में चली जायेगी. 

 

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