अंतरिक्ष कारोबार में भारत की बढ़त

अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाते हुए भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी के माध्यम से 104 सेटेलाइटों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, जिसने दुनियाभर में तहलका मचा दिया है।

  • पीएसएलवी के प्रारंभ से अभी तक 39 मिशन लिए गए हैं, जिसमें से पहले को छोड़ लगातार 38 मिशनों में उसे कामयाबी हासिल हुई है।
  • अपने इस 39वें मिशन में पीएसएलवी ने 1378 किलोग्राम वजन के 104 उपग्रह अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किए हैं।
  •  इसमें से 96 अमेरिका के थे, जबकि एक-एक यान नीदरलैंड, स्विट‍्ज़‍रलैंड, इस्राइल, कजाखस्तान और यूएई से थे। इसमें से कोई भारतीय नहीं था।
  • भारत में किसी कंपनी को व्यावसायिक कार्यों के लिए निजी सेटेलाइट ऑपरेशन की इजाजत नहीं है।

Commercialising

  • विदेशी सेटेलाइटों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के बाद इसरो 300 अरब डालर के अंतरिक्ष बाजार का एक बड़ा दावेदार बन गया है।
  •  दुनिया में इस प्रकार की सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां जैसे एरियन स्पेस एवं स्पेसएक्स की तुलना में 3 से 5 प्रतिशत लागत पर ही, इसरो यह सेवा प्रदान करता है।
  • जहां वर्ष 2013 और 2015 के बीच इसरो ने मात्र 30 लाख डालर प्रति सेटेलाइट का शुल्क लिया, वहीं एरियन स्पेस के रॉकेट छोड़ने की लागत ही 1000 लाख डालर आती है।
  • स्पेसएक्स प्रति सेटेलाइट छोड़ने के लिए 600 लाख डालर वसूल करता है।
  • आज इसरो द्वारा बिना किसी असफलता के सभी रॉकेट छोड़ने की उपलब्धि के बाद दुनियाभर में इसरो की विश्वसनीयता कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
  • यही कारण है कि इसरो की व्यावसायिक इकाई ‘एन्टि्रक्स’ की प्राप्तियां 2013 और 2015 के बीच 69 लाख यूरो से बढ़कर 555 लाख यूरो हो गयी हैं। यानी 8 गुणा ज्यादा। इस साल जिस गति से अंतरिक्ष यान छोड़े जा रहे हैं, लगता है कि इसरो की प्राप्तियां उससे कहीं ज्यादा बढ़ जाने वाली हैं। ‘एन्टि्रक्स’ के लाभ 2015 में 205 प्रतिशत बढ़ गये और यदि 2016 की उपलब्धियों को देखें तो यह लाभ कई गुणा बढ़ सकते हैं।

इसरो की साख


  • यूं तो अभी तक इसरो द्वारा 226 सेटेलाइट अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किए जा चुके हैं, जिसमें से 180 विदेशी हैं। लेकिन इसरो की साख केवल अंतरिक्षयान प्रक्षेपण के कारण ही नहीं है। पांच नवंबर, 2013 को मंगल ग्रह पर अंतरिक्षयान सफलतापूर्वक भेजकर, दुनिया को भारतीय वैज्ञानिकों के कौशल का लोहा मानने को मजबूर कर दिया था। सितंबर 24, 2014 को मंगल ग्रह के पास पहुंचकर यह मंगलयान पृथ्वी पर मंगल ग्रह के चित्र भेज रहा है।
  • दुनियाभर के लोगों की दूसरे ग्रहों के बारे में जानने की उत्सुकता स्वाभाविक तौर पर रहती ही है, लेकिन अंतरिक्ष में खोजी यान भेजकर, वहां के बारे में जानकारियां एकत्र करने की योजना को कार्यान्वित करना कोई साधारण बात नहीं होती।
  •  मंगल अभियान के जरिए भारत ने दुनिया में इस प्रकार का प्रयास करने वाले क्लब में अपनी जगह बना ली है। गौरतलब है कि अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ही मंगल ग्रह के लिए अपने अभियान सफलतापूर्वक संपन्न करवा सके हैं।
  • अभी चीन और जापान भी मंगल ग्रह को अपने यान भेज नहीं पाये हैं। इस प्रकार अब मंगल अभियान की शुरुआती सफलता के बाद भारत भी अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर हो गया है। बड़ी बात यह है इतने गौरवशाली मंगल अभियान पर मात्र 450 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मानव के कल्याण में

हालांकि पूर्व में भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां रही हैं। अपने और दुनिया के दूसरे मुल्कों के सेटेलाइट भेजकर अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति के माध्यम से आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी, मौसम की सूचनाएं ही नहीं, धरती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र करवाने के कारण दुनियाभर के देशों को सेवायें प्रदान कर रहा है।

  • आज अपने उपग्रहों के माध्यम से, भारत दुनिया की सबसे बड़ी संचार प्रणाली होने का गौरव भी रखता है। दुनिया के कई मुल्कों को संचार सुविधाएं भारत द्वारा ही प्रदान की जा रही हैं।
  • हाल ही में उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और देश के अनेक हिस्सों में आये तूफान के बावजूद हम लाखों जीवन और संपत्ति बचाने में इसलिए कामयाब हो सके क्योंकि हमारे उपग्रहों ने यह पता लगा लिया कि एक भारी तूफान उड़ीसा की ओर जा रहा है।
  • यही नहीं मनरेगा के अंतर्गत चल रहे विकास कार्यों की देखरेख भी सेटेलाइटों के माध्यम से कर विकास कार्यों में कुशलता लाई जा रही है।
  • इन अंतरिक्ष अभियानों के फायदे देशवासियों के लिए अगणनीय हैं। दुनिया की सबसे बड़ी संचार प्रणाली, उच्चकोटि मौसम की जानकारियां ही नहीं बल्कि भूगर्भ के बारे में भी हमारे उपग्रह बहुमूल्य जानकारियां प्रदान करते हैं। अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के माध्यम से भारत द्वारा दूसरे मुल्कों को दी जाने वाली सेवाओं के बदले में भी बड़ी राशियां प्राप्त होती हैं।
  • यही नहीं अपने अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रमों के कारण भारत का सम्मान दुनिया में बढ़ता जा रहा है। यह सही है कि अभी भी दुनिया के कुल भूखों में से एक-चौथाई भारत में बसते हैं। लेकिन इस भूख से निजात पाने के लिए भी अंतरिक्ष अभियानों का एक खासा महत्व है।
  • अरबों-खरबों की संपत्ति और लाखों जीवन बचाने के साथ-साथ भारत को विज्ञान की दृष्टि से अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने का भी श्रेय भारत के वैज्ञानिकों को जाता है।

104 सेटेलाइटों के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत का मजाक उड़ाने वाले विदेशी अखबारों की बोलती बंद हुई है।आशाएं बलबती हुई हैं कि भारत अंतरिक्ष अभियान में नई ऊंचाइयां छू पायेगा। अभी तक भारत अंतरिक्ष क्लब के देशों द्वारा भेदभाव का शिकार रहा है। अमेरिका और यूरोप के देश भारत को किसी भी प्रकार की तकनीकी सहायता इसके अंतरिक्ष अभियानों में देने के लिए तैयार नहीं थे। इन कारणों से हमारा अंतरिक्ष अभियान कुछ समय के लिए स्थगित जरूर हुआ, लेकिन देश ने आत्मनिर्भरता के आधार पर अपनी प्रौद्योगिकी का विकास खुद करने का काम किया। भारत के वैज्ञानिकों द्वारा उत्कृष्टता के अनेकानेक उदाहरण हमारे सामने हैं।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download