70 years after independence if we look back we have some achievement however still most of our population are not truly independent
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India proved its critics wrong
सत्तर वर्ष पहले भारत को ब्रिटेन से राजनीतिक आजादी हासिल हुई थी। इन तमाम दशकों के दौरान तमाम विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए हमारे देश ने अपनी एकता बरकरार रखी। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। परंतु राजनीतिक स्वतंत्रता की यह निरंतरता बीते दशकों के दौरान अन्य क्षेत्रों में विस्तारित नहीं हुई। खासतौर पर देश के लोगों को राजनीतिक आजादी तो मिली लेकिन वे आजादी के अन्य पहलुओं से वंचित रहे। कहने का तात्पर्य यह कि 15 अगस्त को हम जिस आजादी का जश्न मनाते हैं वह काफी हद तक एकांगी है।
Some failures
- बीते सात दशकों के दौरान लोगों ने राजनीतिक स्वतंत्रता को अपना अधिकार माना है लेकिन उन्हें उस अनुपात में आर्थिक आजादी नहीं मिली।
- भारत सरकार ने अपने शुरुआती दौर में देश की आबादी के बड़े तबके को आर्थिक स्वतंत्रता नहीं दी। संपत्ति के अधिकार कभी सही मायनों में संरक्षित नहीं किए गए और उद्यमिता पर समाजवादी शैली के नियंत्रण लगा दिए गए।
- वर्ष 1991 में हुए आर्थिक सुधारों के ढाई दशक बीत चुके हैं। इस अवधि में भी पूरा नियंत्रण समाप्त नहीं हुआ है। भारत अभी भी ऐसा देश है जहां कारोबारी जगत के सामान्य कामकाज में हस्तक्षेप होता है। दो लोगों के निजी अनुबंध में भी दखल होता है।
- आर्थिक आजादी की परिकल्पना नहीं है। आर्थिक गतिविधियों को आज भी राज्य की पसंद का मामला माना जाता है। जब तक राजनीतिक आजादी के साथ सही अर्थों में आर्थिक स्वतंत्रता नहीं मिलेगी, स्वतंत्रता दिवस एक अधूरी आजादी का उत्सव बना रहेगा।
- चाहे जो भी हो, अमत्र्य सेन ने लिखा था कि व्यक्तिगत आजादी और एक न्यूनतम स्तर की आर्थिक संपन्नता तथा सामाजिक सम्मान के बीच संबंध है। उन्होंने कहा था कि बिना आजाद जिंदगी जीने की आजादी के यह सांकेतिक आजादी निरर्थक है। हमारे देश में ऐसे ही हालात बरकरार हैं। वंचित वर्गों- कुछ धार्मिक अल्पसंख्यकों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों आदि को मताधिकार और आजादी का तकनीकी लाभ तो हासिल है लेकिन उनके रोजमर्रा के जीवन में जो भेदभाव है
- वह उनकी आजादी को काफी हद तक प्रभावित करता है। जो लोग वंचित वर्ग में पैदा नहीं हुए हैं उनके लिए भी देश में व्याप्त गरीबी यही बताती है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा न्यूनतम संसाधनों के साथ जिंदगी बसर कर रहा है। जबकि सन 1947 में मिली आजादी के इतने अरसे बाद तो उनको इसका पूरा लाभ मिलना चाहिए था। यही वजह है कि जगमगाते शॉपिंग मॉल और स्टार्टअप की चमक के पीछे एक विशाल, भ्रमित और गरीब भारत मौजूद है। देश के तेजतर्रार वैश्वीकरण से जुड़े विचारकों, बौद्घिकों और उद्योगपतियों के साथ उनकी कोई साझेदारी नहीं है।
True Meaning of Independence
- आजादी का अर्थ यह है कि हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी जीने के मामले में चयन की भरपूर स्वतंत्रता हो। इसका अर्थ यह भी है कि इस चयन में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
- उन्हें हर तरह की आजादी हासिल होनी चाहिए। यह भी सच है कि आजादी के लिए एक न्यूनतम स्तर की आय और व्यक्तिगत सम्मान भी नितांत आवश्यक हैं।
- देश के अधिकांश लोगों को यह मयस्सर नहीं। मिसाल के तौर पर जब देश के अधिकांश लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की आरामदेह सुविधा नहीं है तो फिर मुक्त आवागमन की आजादी मजाक नहीं तो भला और क्या है? लोगों को रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ता है, वे छतों पर आशियाना बनाते हैं या खराब सड़कों के किनारे मीलों पैदल चलते हैं। ऐसी आजादी का क्या मतलब? निजता के अधिकार की रक्षा के बिना आजादी को पूरा कैसे माना जा सकता है? स्वतंत्रता दिवस पर देश के लोगों को यह निश्चित करना चाहिए कि अभी आजादी की लड़ाई किस हद तक बाकी है