भारत और इसराइल के संबंध नए स्तर तक पहुंच गए हैंI दोनों देशों में दक्षिणपंथी पार्टियों, यहां भारतीय जनता पार्टी और इसराइल में लिकुड की सरकारें हैं. दोनों में विचारधारा के स्तर पर कई समानताएं हैं. इसने दोनों देशों के आपसी संबंधों को विस्तार दिया है.
- दोनों देशों के बीच रक्षा सौदे, ख़ासकर सैन्य कारोबार को बढ़ावा मिला है I
- इसराइल ने भारत के साथ तकनीकी दक्षता और विशेषज्ञता को साझा करने की इच्छा जताई है, दोनों देशों ने सरकारी और निजी सेक्टर में हथियारों के उत्पादन को बढ़ावा देने के कई कदम उठाये गए हैंI
=> राजनितिक संबंधो का इतिहास:-
०-० दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत जनवरी, 1992 में हुई थी. दोनों देशों के बीच रिश्ते को मज़बूती देने में इसराइल की हथियार बेचने की मंशा भी रही है.
- 1990 के मध्य से ही भारत और इसराइल के बीच सैन्य संबंध सबसे अहम रहे हैं. बीते एक दशक के दौरान दोनों देशों के बीच क़रीब 670 अरब रुपए का कारोबार हुआ है. मौजूदा समय में, भारत सालाना क़रीब 67 अरब से 100 अरब रुपए के सैन्य उत्पाद इसराइल से आयात कर रहा है.
- संकट के समय भारत के अनुरोध पर इसराइल की त्वरित प्रतिक्रिया ने उसे भारत के लिए भरोसेमंद हथियार आपूर्ति करने वाले देश के तौर पर स्थापित किया और इससे दोनों देशों के रिश्ते काफ़ी मज़बूत हुए हैं
उदाहरण :-
- भारत ने इसराइल से 2680 करोड़ रुपए की 10 हेरॉन टीपी यूएवी (मानवरहित हवाई वाहन) ख़रीदने की घोषणा की है. इसकी मदद से भारतीय सेना की निगरानी करने और टोह लेने की क्षमता काफ़ी बढ़ जाएगी.
- भारत अभी निगरानी और टोह लेने के लिए इसराइल में निर्मित 176 ड्रोन इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें 108 आईएआई (इसराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्री) सर्चर हैं जबकि 68 बिना शस्त्र वाले हेरान एक एयरक्राफ़्ट हैं. इसके अलावा भारतीय वायुसेना के पास आईएआई निर्मित हार्पी ड्रोन्स हैं.
- फ़ाल्कन एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स)
- बराक- एक एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम
- इन परंपरागत सैन्य उपकरणों के साथ सीमा पर बाड़ लगाने से संबंधित तकनीक का भी भारत, इसराइल से निर्यात कर रहा है. इसका इस्तेमाल जम्मू एंड कश्मीर के लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर किया गया है.
- इसके अलावा भारत और इसराइली सैन्य कारोबार में सह उत्पादन और संयुक्त उपक्रम अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं.
- यह लंबी और मध्य दूरी तक मार करने वाले एयर मिसाइल, ईडब्ल्यूएस, अन्य हवाई सामरिक उपकरणों के विकास के लिए भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) और इसराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्री (आईएआई) एवं कुछ अन्य इसराइली फ़र्म के मध्य होने वाला सहयोग है.
निष्कर्ष:- भारतीय सेना के आधुनिकीकरण की सुस्त रफ़्तार को देखते हुए इसराइल भारत का सबसे महत्वपूर्ण मददगार साबित हो सकता है. ऐसे में भारत और इसराइल के सैन्य कारोबार में तकनीक हस्तांतरण सबसे अहम पहलू हैI