निताकत
- सऊदी अरब की संशोधित निताकत (सऊदीकरण) स्कीम वहां रोजगार की तलाश में गए भारतीयों को जोरदार झटका देगी। नई योजना के तहत सितंबर 2017 से सऊदी अरब की कुछ कंपनियां ही विदेशी एंप्लॉयीज को अपने यहां नौकरी पर रखने के लिए नए ब्लॉक वीजा का आवेदन कर पाएंगी। इनमें वही कंपनियां आएंगी जिन्होंने अपने यहां सऊदी एंप्लॉयीज की संख्या और अन्य मानदंडों के आधार पर हाई ग्रेड्स हासिल किया है।
=>भारतियों पर असर
- लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया गया था कि साल 2016 में सऊदी अरब में करीब 25 लाख भारतीय काम कर रहे थे। हालांकि, भारतीयों का पलायन कम हो रहा है। साल 2016 में सऊदी अरब ने सिर्फ 1.65 लाख भारतीयों को ही आने की अनुमति दी थी जो साल 2015 के मुकालबे 46 प्रतिशत कम है। 2016 में भारत के जिन राज्यों से ज्यादा लोग सऊदी अरब गए थे, उनमें उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, बिहार और केरल टॉप पर थे।
- सऊदियों को रोजगार के ज्यादा मौके उपलब्ध कराने के मकसद से तैयार संशोधित निताकत स्कीम के दायरे में छह या छह से ज्यादा कर्मचारियों वाली प्राइवेट कंपनियां आ जाएंगी जबकि पहले यह सीमा 10 कर्मचारियों की थी।
- प्लैटिनम और हाई ग्रीन कैटिगरीज में आनेवाले ऑर्गनाइजेशन ही नए ब्लॉक वीजा अप्लाइ कर सकेंगे। कंस्ट्रक्शन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर्स में भारतीय मजदूर भरे पड़े हैं जिन्हें नए संशोधित स्कीम से बड़ा झटका लगनेवाला है। भारतीयों को नौकरी पर रखनेवाले ऑर्गनाइजेशन, मसलन कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर्स या रेस्ट्रॉन्ट्स, प्लैटिनम या हाई ग्रीन कैटिगरी में नहीं आएंगे। इसके अतिरिक्त मुश्किल यह है कि जो लो कैटिगरीज में आनेवाली कंपनियों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, वो मौजूदा कंपनी छोड़कर दूसरी में नहीं जा सकेंगे। इस पर काफी उलझन है कि आखिर इन सेक्टरों में जितने लोगों की जरूरत होगी, उनकी भविष्य में भरपाई कैसे होगी।'
सऊदी अरब में निताकत सिस्टम सबसे पहले साल 2011 के मध्य में लागू किया गया। इसके तहत एंप्लॉयरों को चार केटिगरीज में बांट दिया गया है- प्लैटिनम, ग्रीन (इसकी भी तीन कैटिगरी है- हाई, मीडियम और लो), येलो और रेड। प्लैटिनम कैटिगरी में आनेवाली कंपनियों में आम तौर पर 40 प्रतिशत या इससे ज्यादा स्थानीय कर्मचारी होते हैं।