★ सीरिया में रासायनिक हमले के बाद अमेरिका का रुख आक्रामक है। उसने सीरिया पर टॉमहॉक मिसाइलों से हमला बोल दिया।
★इस घटना के बाद से रूस और अमेरिका में भी तनातनी है। तनाव इतना बढ़ चुका है कि कुछ को तीसरे विश्व युद्ध की आहट नजर आने लगी है।
★ दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली है। सीरिया पर अमेरिकी मिसाइलों के बरसने का असर भारत पर भी पड़ सकता है। वजह है अचानक कच्चे तेल की कीमतों में उछाल। यदि यह दौर जारी रहा तो भारत में भी पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ सकती है।
कैसे प्रभावित होगा भारत
★सीरिया ग्लोबल पेट्रोलियम सप्लाई का केवल 0.04 पर्सेंट ही उत्पादन करता है, जो कि क्यूबा, न्यू जीलैंड और पाकिस्तान से भी कम है, लेकिन इसके पड़ोस में मौजूद कई देश बड़े तेल उत्पादक हैं।
★सीरिया की सीमा ईराक से मिलती है, जो OPEC (ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) का दूसरा सबसे बड़ा मेंबर है। इसके तुरंत बाद सऊदी अरब और इरान जैसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं।
★ तुर्की का बंदरगाह (Ceyhan) भी अधिक दूर नहीं है, जहां से कुर्दिस्तान के जहाज भी गुजरते हैं। सीरिया को लेकर आमने-सामने आ चुके दो शक्तिशाली देश अमेरिका और रूस भी बड़े क्रूड उत्पादक हैं।
यही कारण है कि जब सीरिया में अमेरिकी मिसाइलें के बरसने की खबरें आईं तो ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई और इसकी कीमत 55.59 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।
भारत पर असर
★ भारत अपनी खपत का 80 प्रतिशत के करीब तेल मध्य-पूर्वी देशों से आयात करता है।
★जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं तो भारत का आयात बिल कम होता है और विदेशी पूंजी भंडार भी बढ़ता है।
पिछले कुछ सालों में तेल की कीमतों की बात करें तो कच्चे तेल की सबसे कम कीमत फरवरी 2016 में 33.62 डॉलर प्रति बैरल रही थी। वहीं अधिकतम कीमत की बात करें तो साल 2008 में आर्थिक मंदी के कारण कच्चे तेल की कीमत 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी।