★ भारत को ईरान के रास्ते रूस और यूरोप से जोड़ने की परियोजना को अमीला जामा पहनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ा दिया गया है।
★ इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर (INSTC) के तहत सीमा शुल्क की आसान सुविधा वाले हरित गलियारे (ग्रीन कॉरिडोर) के जरिए जल्द ही सामानों की आवाजाही का पूर्वाभ्यास (ड्राइ रन) किया जा सकता है।
★ भारत-रूस के बीच राजनयिक सबंधों की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर इस महीने इसका संचालन हो सकता है।
★ अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जब पूर तरह संचालन में आ जाएगा तो भारत और यूरेशिया के बीच सामानों की आवाजाही की अवधि और लागत में कमी आएगी और भारत एवं साधन संपन्न रूस के साथ-साथ यूरोप के बाजारों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
=>चीन के वन बेल्ट वन रोड को टक्कर :-
★ अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क सम्मेलन टीआईआर से जुड़ने के भारत के फैसले के बाद आईएनएसटीसी का सपना हकीकत के थोड़े करीब पहुंच गया।
★ आईएनएसटीसी उन गलियारों में एक है जिन्हें भारत चीन के वन बेल्ट वन रोड नीति के सामानांतर बनाने पर काम कर रहा है।
=>क्या है आईएनएसटीसी?
★ आईएनएसटीसी 7,200 किमी लंबा जमीनी और सामुद्रिक रास्ता है। इसमें परिवहन के रेल, सड़क और समुद्री मार्ग शामिल हैं।
★ इसके जरिए समय और लागत में कटौती कर रूस, ईरान, मध्य एशिया, भारत और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा दिए जाने का लक्ष्य है।
★इस नेटवर्क से यूरोप और दक्षिण एशिया के बीच व्यापारिक गठजोड़ में तेजी एवं ज्यादा कुशलता की उम्मीद की जा रही है।
★फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवार्डर्स असोसिएशंज ऑफ इंडिया के सर्वे में सामने आया कि मौजूदा मार्ग के मुकाबले आईएनएसटीसी 30 प्रतिशत सस्ता और 40 प्रतिशत छोटा रास्ता होगा।
★भारत और रूस अभी सामान लाने-ले जाने के लिए समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करते हैं जिसमें 40 दिन का वक्त लग जाता है।