भारत नेपाल सम्बन्ध और चाइना कार्ड

बढती हुई दूरियां:

नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का भारत दौरा रद होने, भारत में नेपाली राजदूत दीप कुमार उपाध्याय की वापसी और नेपाल में भारतीय राजदूत रंजीत राय को अवांछित घोषित किए जाने संबंधी अफवाह भारत-नेपाल संबंधों में बढ़ती खाई का एक और प्रमाण है। 

संबंधो में टकराव की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 की नेपाल यात्र और अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप में भारत की सक्रिय मदद के बाद दोनों देशों के संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गए थे। दोनों देशों के संबंधों में भटकाव नवंबर 2015 में नेपाल द्वारा अपना संविधान लागू करने के बाद शुरू हुआ।

भारत की तरफ से गलतिया

  • भारत को पहले से पता था कि नया संविधान नेपाल की राजनीति में पहाड़ी क्षेत्र के लोगों का प्रभुत्व कायम करेगा और तराई क्षेत्र के लोगों के प्रतिनिधित्व को कमजोर करेगा, लेकिन वह समय रहते सक्रिय नहीं हुआ।
  • मधेसियों ने नए संविधान का विरोध जिस तरह किया उससे भारत-नेपाल सीमा बाधित हुई। भारत ने इस अवरोध को खत्म करने में सक्रियता नहीं दिखाई, बल्कि तटस्थ बना रहा। परिणामस्वरूप नेपाल में आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गई। इस मौके का फायदा चीन समर्थकों ने उठाया और नेपाल में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काया।
  • तराई के लोगों ने भी नई दिल्ली से खुद को उपेक्षित महसूस किया। उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिली।

नेपाल का चीनी कार्ड

 नेपाल ने भारत पर दबाव बनाने के लिए चीनी कार्ड खेल दिया। बीजिंग ने पेट्रोलियम पदार्थो और दूसरी जरूरी वस्तुओं की आपात आपूर्ति भी की। हालांकि चीन नेपाल की सभी जरूरतों को पूरा नहीं कर सका, लेकिन बीजिंग ने अपने हावभाव से नेपाल के दिल में अपने लिए जगह बना ली। नेपाल ने  चीन के साथ ट्रांजिट और ट्रांसपोर्ट समझौता किया, जिसके तहत चीन नेपाल को अपने बंदरगाह उपलब्ध कराएगा और चीन दोनों देशों के बीच रेल संपर्क का विकास करेगा।

नेपाल और चीन की नजदीकी भारत के लिए झटका

  • नेपाल अपना साठ फीसद आयात भारत के जरिये पूरा करता है। चीन के साथ समझौते से भारतीय बंदरगाहों पर नेपाल की निर्भरता खत्म हो जाएगी।
  •  हिमालय जो कि नेपाल और चीन के संपर्क में एक बाधक बना था, अब दोनों देशों को जोड़ने वाला बन गया है।
  • ट्रांजिट एंड ट्रेड समझौता दक्षिण एशिया में नए समीकरण का सूत्रपात करेगा। चीन का नेपाल में प्रवेश भारत को घेरने की उसकी योजना का हिस्सा है। ची
  • न द्वारा नेपाल में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की योजना भारतीय सीमाओं तक चीनी सैनिकों की पहुंच सुनिश्चित करेगी।
  • नेपाल-चीन के बीच रेल संपर्क की बहाली सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर खतरा बढ़ाएगी। यही एक मात्र कॉरिडोर है जो पूवरेत्तर को भारत से जोड़ता है।
  • नेपाल में चीन की मौजूदगी का अर्थ है कि भारत के अलगाववादियों और माओवादियों तक उसकी पहुंच बढ़ जाएगी।
  • साथ ही भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा संबंधी दूसरी समस्याएं पैदा होंगी।

भारत के लिए  उम्मीद की किरण

  • नेपाल में इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत दयनीय होने, दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां, चीन के गियोरोंग से लगती नेपाली सीमा केरुंग तक रेल लिंक के अभाव के कारण नेपाल तुरंत ही किसी तीसरे देश से व्यापार के लिए चीन का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
  •  चीन-नेपाल रेल लिंक के विकास में अभी सालों लगेंगे। पूर्व में तत्तापानी के जरिये दोनों देशों के बीच व्यापार होता था, लेकिन 2015 के भूकंप के बाद वह भी बंद हो गया।
  • नेपाल की सीमा से चीन के सबसे नजदीकी बंदरगाह तियानजिन की दूरी तीन हजार किमी है, जबकि भारतीय बंदरगाह हल्दिया की दूरी एक हजार किमी से भी कम है। स्पष्ट है कि नेपाल का फायदा भारतीय बंदरगाह के प्रयोग में है।
  • चीन-नेपाल के बीच रेल लिंक बनाना भौगोलिक, तकनीकी और आर्थिकलिहाज से दुष्कर है। नेपाल 24 रास्तों के जरिये भारत से व्यापार करता है।
  • भारत ने नेपाल के साथ पांच रेल कॉरिडोर बनाना तय किया है।

क्या होनी चाहिए भारत की रणनीति

  • भारत को नेपाल के साथ संबंधों में आई तल्खी को खत्म करने के लिए नई रणनीति पर काम करना होगा।
  • भारत को किसी एक दल को तरजीह देने के बजाय सभी पार्टियों के साथ मेल जोल बढ़ाना चाहिए।
  • नेपाली सेना और नागरिक समाज से संवाद बढ़ाना चाहिए। दोनों का हित एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। नेपाल विकास करेगा तो भारत भी विकास करेगा।
  • भारत-नेपाल संबंधों में मजबूती चीनी खतरे को कम करेगी। यदि भारत वहां ढांचागत विकास नहीं करेगा और नेपाल को अपनी अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं बनाएगा तो चीन को वहां पैर फैलाने मौका मिल जाएगा। कम्युनिस्टों से भरी नेपाल की गठबंधन सरकार भारत विरोधी और चीन समर्थक है।
  • source: दैनिक जागरण 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download