भारत-नेपाल संबंध 1950 से 2016 तक

- भारत और नेपाल केवल पड़ोसी देश नहीं हैं बल्कि इनका सदियों पुराना नाता है जो इन्हे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक रूप से जोड़ता है।

**नेपाल से भारत का रिश्ता रोटी और बेटी का है।

०-० सदियों से इस रिश्तों की परंपरा को दोनों देशों ने निभाया है। भारत-नेपाल के बीच कोई सामरिक समझौता नहीं लेकिन नेपाल पर किए गए किसी भी आक्रामण को भारत बर्दाश्त नहीं कर सकता। 
०-०- 1950 से लेकर अब तक नेपाल में जो भी समस्याएं आई भारत ने उसको उनको अपना माना और भरपूर साथ दिया । हालांकि दोनों देशों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं बावजूद इसके परंपरा का सम्मान दोनों देशों के संबंधों में हमेशा मिठास घोलता आया है।

-०-० भारत-नेपाल संबंधों की शुरुआत साल 1950 की मैत्री और शांति संधि के साथ हुई थी। यही संधि दोनों देशों के बीच व्यापारिक गठजोड़ को भी बढ़ाती रही।

०-० साल 1951 जब नेपाल में राजनीतिक विवाद गहराया तो महाराजा त्रिभुवन दिल्ली पहुंचे। तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मध्यस्थता करते हुए उन्हें पूरा सहयोग दिया। 
- ये वो वक्त था जब नेपाल ने भारत से सैनिक सहायता की मांग की, सेना एवं प्रशासन के पुनर्गठन के लिए सहयोग मांगा।

-०-० भारत ने नेपाल को हर तरह की सहायता देकर वहां स्थायित्व लाने का प्रयास किया। तब से लेकर अब-तक भारत में जितनी सरकारें आई सबका रूख नेपाल को लेकर सहयोगात्मक रहा।

- भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा ने इस संबंध को नई दिशा देने की कोशिश की। 
-०-० वहां आए महाविनाशकारी भूकंप में भारत से मिली मदद को भी नेपाल कभी भूल नहीं सकता। लेकिन मधेसियों के मुद्दे पर दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आ गई।

०-० ऐसे में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की यात्रा से रिश्तों में आई खटास दूर होने की उम्मीद जगी है। खास बात ये कि नेपाली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से पहले भारत-नेपाल सीमा पर नाकेबंदी खत्म करके मधेसी भी इस यात्रा से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download