संदर्भ:- नेपाली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा और द्विपक्षीय समझौते
★भारत का नेपाल के साथ करीबी रिश्ता रहा है लेकिन हाल के समय मे चीन नेपाल पर अपना कुछ असर रखने की कोशिश में जुटा है। ओली ने चीन के साथ गहरा सहयोग विकसित करने का प्रयास किया था। नेपाल ने ओली के प्रधानमंत्री रहने के दौरान चीन के साथ परिवहन और पारगमन संधि की थी।
★नेपाल पिछले साल सितंबर में नये संविधान के अंगीकार करने के बाद से ही राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। करीब पांच महीने तक चले मधेसी आंदोलन के चलते भारत के साथ लगते प्रमुख व्यापारिक मार्ग बंद हो गए थे और नेपाल में जरूरी वस्तुओं की भारी किल्लत हो गयी थी। यह आर्थिक नाकेबंदी फरवरी में खत्म हुई थी। नेपाल ने मधेसी संकट के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था जिससे भारत ने स्पष्ट इनकार किया था।
★ सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि नेपाल ने भारत से कहा कि वह भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ अपने को इस्तेमाल नहीं होने देगा।
★ भारत ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री से कहा कि सभी वर्गों की आकांक्षाओं को समावेशित कर देश का संविधान लागू किया जाना चाहिए। साथ ही उसने उसके बुनियादी ढांचों के पुनर्निर्माण में सहयोग का वादा भी किया।
★ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के साथ सघन बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने तीन समझौतों पर दस्तखत किए।
1. उनमें से एक के तहत भारत नेपाल को भूकंप के बाद के पुनर्निर्माण के वास्ते 75 करोड़ डालर देगा और दूसरा तराई क्षेत्र में सड़कें बनाने से जुड़ा है। पिछले साल विनाशकारी भूकंप से नेपाल की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी थी। ये फैसले काठमांडो पर अपना प्रभाव बढ़ाने की चीन की बढती कोशिशों के बीच काफी अहम माने जा रहे हैं।
2. व्यापार बढ़ाने, रेल एवं सड़क संपर्क में सुधार लाने तथा नेपाल में भारत द्वारा लागू की जा रही बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करना सुनिश्चित करने का फैसला किया।
3. भारत अगली ऋण सुविधा पर राजी हुआ है और उसने हिमालयी राष्ट्र के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में 50,000 मकान बनाने के लिए दो लाख के बजाय तीन लाख रूपये देने के नेपाल के अनुरोध को मान लिया है।
★नये संविधान के कुछ प्रावधानों का मधेसी जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। ज्यादातर मधेसी भारतीय मूल के हैं। मधेसी कहते आ रहे हैं कि संविधान के कुछ प्रावधान उन्हें राजनीतिक रूप से हाशिये पर डाल देंगे। कुछ महीने पहले लंबे समय तक चले प्रदर्शन एवं आर्थिक नाकेबंदी के चलते नेपाल और भारत के बीच तनाव पैदा हो गया था।
#विस्तार से
- बातचीत के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने प्रचंड से कहा, ‘आप नेपाल की शांति में उत्प्रेरक शक्ति रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आपके बुद्धिमतापूर्ण नेतृत्व में नेपाल आपके विविधतापूर्ण समाज के सभी वर्गों की आकांक्षाओं का समावेशन करते हुए समग्र वार्ता के जरिए संविधान लागू करने में सफल होगा।’
- नेपाल कुछ महीने से असहज राजनीतिक परिवर्तन से जूझ रहा है। के पी शर्मा ओली ने नये संविधान के खिलाफ मधेसियों के विरोध के कारण उत्पन्न ताजे राजनीतिक उठापठक के चलते जुलाई में प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
- भारत का मनना है कि बिल्कुल नजदीक पड़ोसी और दोस्ताना राष्ट्र होने के नाते नेपाल की शांति, स्थिरता और समृद्धि ही हमारा साक्षा उद्देश्य है। नेपाल की विकास यात्रा के हर कदम पर हमें आपके साझेदार होने का गर्व रहा है।’
- भारत नेपाल के साथ विकास साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए तैयार है। भारत नेपाल की जनता और सरकार की प्राथमिकताओं के हिसाब से काम करेंगा। भारत तराई सड़कों के दूसरे चरण, विद्युत पारेषण लाइनों, सबस्टेशनों, कास्की में पोलीटेकनिक जैसे नयी परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त ऋण सुविधा देने पर राजी हो गया है।
- दोनों पक्ष इस बात पर राजी हुए कि नेपाल और भारत के सुरक्षा हित आपस में जुड़े हैं तथा रक्षा एवं सुरक्षा एजेंसियों के बीच करीबी सहयोग जारी रहेगा। दोनों देशों के बीच खुली सीमा हमारे लोगों के बीच सहयोग एवं अंतर्संवाद का बड़ा मौका प्रदान करती है। लेकिन हमें उन तत्वों के खिलाफ चौकसी जारी रखने की जरूरत है जो इस सीमा का दुरूपयोग करना चाहते हैं।’
- खुले आसमान, सीमापार विद्युत व्यापार, पारगमन मार्ग, सीमापार कनेक्टिविटी की भारत की पहलों से निश्चित ही नेपाल को फायदा होगा तथा दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी मजबूत होगी।
★दोनों देश वर्तमान पनबिजली परियोजनाओं को जल्द पूरा करने और पारेषण लाइनों के विकास एवं क्रियाशील करने पर बल देने पर सहमत हुए।’ उन्होंने कहा कि सभी विकास परियोजनाओं को समय से पूरा करने के लिये कड़ी निगरानी पर सहमति बनी।
★ नेपाल पर चीन के बढ़ते प्रभाव पर उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ भारत का रिश्ता अनूठा है और सभी पड़ोसियों का समान इतिहास और सांस्कृतिक संबंध नहीं रहा है। इस संबंध की अनोखी प्रकृति देखिए।
★ दोनों देश अपने साझे बौद्ध धरोहरों को प्रदर्शित करने तथा आयुर्वेद एवं अन्य पारंपरिक उपचार पद्धतियों के विकास पर ध्यान देने पर सहमत हुए।