भारत और न्यूजीलैंड ने कारोबार, रक्षा और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने संबंधों को मजबूत बनाने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके समकक्ष जान की के बीच बातचीत के दौरान न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनका देश NSG की सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के संदर्भ में जारी प्रक्रिया में ‘रचनात्मक’ योगदान देगा।
- दोनों देशो ने दोहरा कराधान निषेध संधि और आय पर कर संबंधी राजकोषीय अपवंचन रोकथाम समेत तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- दोनों पक्षों ने विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता करने के साथ साइबर मुद्दों पर आदान प्रदान करने की व्यवस्था स्थापित करने का भी निर्णय किया।
- 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत के प्रवेश के बारे में समर्थन के संबंध में भारत की यात्रा पर आए जान की ने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा। उन्होंने इस विषय पर कहा, ‘न्यूजीलैंड वर्तमान प्रक्रिया में रचनात्मक योगदान देना जारी रखेगा जो एनएसजी में भारत की सदस्यता पर विचार करने के लिए चल रही है।’ की ने कहा कि एनएसजी में भारत की सदस्यता के प्रयास के विषय पर उनकी विस्तृत चर्चा हुई।
- ‘न्यूजीलैंड एनएसजी के सदस्यों के साथ काम करने को प्रतिबद्ध है ताकि जितनी जल्दी संभव हो, एक फैसले पर पहुंचा जा सके।’ दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि न्यूजीलैंड, भारत के संदर्भ में एनएसजी में शामिल होने के महत्व को समझता है। इसमें कहा गया है कि भारत ने जोर दिया कि इससे पेरिस समझौते के परिप्रेक्ष्य में भारत के स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।
- न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल था जिसने जून में दक्षिण कोरिया में एनएसजी की पिछली बैठक में यह रूख अख्तियार किया कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देश भारत के मामले में कोई अपवाद नहीं होना चाहिए। बैठक में अमेरिका के समर्थन के बावजूद चीन ने इस आधार पर भारत की सदस्यता का मार्ग अवरूद्ध कर दिया था कि वह एनपीटी का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
- सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबला करने के विषय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र समेत आतंकवाद एवं कट्टरपंथ के खिलाफ खुफिया सहयोग बढ़ाने और सुरक्षा संबंधों को मजबूत बनाने पर सहमति व्यक्त की। संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवादी खतरों के सभी स्वरूपों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था और विशेष तौर पर 1267 समिति के दायरे में द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
- इसमें कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने आतंकवाद के पनाहगाह और आधारभूत ढांचे को खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्क, उनके वित्तपोषकों को समाप्त करने और सीमापार आतंकवाद को रोकने का आह्वान किया। दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को जल्द से जल्द मंजूर करने का भी आह्वान किया ताकि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक कानूनी ढांचे को और मजबूत बनाने में मदद मिल सके।’
- दोनों नेताओं के बीच बातचीत में कारोबार और निवेश संबंधों को एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ती अनिश्चितताओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए वृहद आर्थिक संबंधों की जरूरत की पहचान की । दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कारोबारी और वाणिज्यिक संबंधों को गठजोड़ के एक प्राथमिकता के विषय के रूप में बढ़ाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री जॉन की के साथ आये बड़े शिष्टमंडल को भारत के विकास की कहानी से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी और कृषि को द्विपक्षीय सहयोग की संभावना वाले क्षेत्र के रूप में पहचान करते हुए मोदी ने कहा कि न्यूजीलैंड की शक्ति और क्षमता को इन क्षेत्रों में भारत की वृहद प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा जा सकता है और इससे दोनों देशों के समाज को फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों की सरकारों को दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और समाज के बीच वृहद कारोबार कनेक्टिविटी समेत कुशल पेशवरों की गतिविधि को प्रोत्साहित करना चाहिए।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस संदर्भ में हमने संतुलित और आपसी लाभ वाले समग्र आर्थिक सहयोग समझौते को जल्द निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए करीबी तौर पर काम करने पर सहमति व्यक्त की।’ उन्होंने व्यापक द्विपक्षीय संबंधों को वैश्विक परिदृश्य में बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही दोनों ने पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन प्रक्रिया में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार को दोनों देशों ने साझा जरूरत बताया। मोदी ने कहा, ‘हम विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी के संदर्भ में न्यूजीलैंड के समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।’
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