ईरान से वैश्विक प्रतिबंध हटे, भारत को होगा इसका दूरगामी फायदा

- पिछले साल जुलाई में प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ हुए परमाणु समझौते के लागू होने के बाद इस्लामी गणतंत्र ईरान पर लगे प्रतिबंध हटा लिए गए हैं और इसके साथ ही देश ने अपने अंतरराष्ट्रीय एकाकीपन को खत्म करने की दिशा में एक बडा कदम बढा लिया है.

- इसका सबसे बड़ा सकारात्मक असर ये होगा कि भारत का ईरान से कच्चे तेल का आयात बढ़ेगा. विदित हो कि ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले भारत बड़ी मात्रा में ईरान से तेल आयात करता था जिसमें धीरे-धीरे काफ़ी हद तक कमी आ गई थी. 
- प्रतिबंध हटने के बाद अब फिर से भारत ईरान से बड़ी मात्रा में तेल आयात कर सकेगा जिसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

- वर्ष 2013 में हसन रुहानी ने ईरान का राष्ट्रपति बनने के बाद 14 जुलाई के वियना समझौते की दिशा में बेहद कठिन राजनयिक प्रयास शुरू करने में मदद की थी. रुहानी के अनुसार यह ‘धैर्यवान देश ईरान' के लिए एक ‘बडी जीत' है.

- समझौते का ‘क्रियान्वयन दिवस' अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी की ओर से यह कहे जाने के बाद आया है कि उसके ‘‘निरीक्षकों ने जमीनी स्तर पर यह प्रमाणित किया है कि ईरान ने समझौते के तहत वर्णित सभी उपाय किए हैं.'

- छह वैश्विक शक्तियों और अन्य देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुडे बहुपक्षीय और राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय प्रतिबंध हटा लिए हैं.'
- इनमें ईरान की जीवन शक्ति कहे जाने वाले तेल निर्यात पर लगे प्रतिबंध भी शामिल होंगे और साथ ही आठ करोड की आबादी वाले देश के लिए कारोबार के द्वार भी खोल दिए जाएंगे

=>समझौते की कुछ प्रमुख शर्तें इस प्रकार हैं..

१. ईरान को अपने उच्च संवर्धित यूरेनियम भंडार ता 98 प्रतिशत हिस्सा खत्म करना होगा.
२. संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षक ईरान के सैन्य प्रतिष्ठानों की निगरानी कर सकेंगे.
३. ईरान पर पांच साल तक हथियार खरीदने पर और आठ साल तक मिसाइल प्रतिबंध जारी रहेंगे.
४. यूरेनियम के अपने भंडार को कम करना और 
५. . ईरान को हथियारों के स्तर के प्लूटोनियम उपलब्ध करा पाने में सक्षम अराक संयंत्र का मूल हिस्सा हटाना शामिल है.
६. . ईरान हमेशा परमाणु हथियार चाहने की बात से इनकार करता रहा है और कहा है कि उसकी गतिविधियां बिजली उत्पादन जैसे शांतिपूर्ण कार्यों के लिए हैं.

-‘‘आज पूरी दुनिया सुरक्षित है क्योंकि परमाणु हथियारों का खतरा कम हो गया है..

=>पृष्ठभूमि :-
- इस बेहद जटिल समझौते ने विफल राजनयिक पहलों, अभूतपूर्व कडे प्रतिबंधों, ईरान द्वारा अवज्ञापूर्ण ढंग से परमाणु प्रसार और सैन्य कार्रवाई की धमकियों के चलते वर्ष 2002 से आए गतिरोध को रेखांकित किया है.
- इसके साथ ही इसने अमेरिका समर्थित शाह को सत्ता से हटाने वाली लगभग 35 साल पहले की इस्लामी क्रांति के बाद दोनों देशों को बेहतर संबंधों की राह पर अग्रसर किया है.
- यह इस्लामी क्रांति ऐसे समय पर हुई थी, जो पश्चिम एशिया के लिए विशेष तौर पर विस्फोटक समय था. 

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