सार्क को लेकर कभी भी गंभीर नहीं हुआ पाकिस्तान

1- पिछले हफ्ते इस्लामाबाद में सार्क शिखर बैठक की तैयारी के सिलसिले में सदस्य देशों की बिजली नियामक एजेंसियों की बैठक थी। बैठक में तय होना था कि सदस्य देशों के बीच बिजली का कारोबार किस तरह से हो। अधिकांश देश इस बारे में नियम बना चुके हैं। भारत और बांग्लादेश में तो बिजली कारोबार शुरू भी हो गया है। लेकिन पाकिस्तान की तरफ से कोई तैयारी नहीं हुई है।

- यह सिर्फ एक उदाहरण है कि पाकिस्तान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को कितनी गंभीरता से लेता है। 
2- नेपाल में पिछले वर्ष पीएम मोदी ने जब सार्क देशों के लिए विशेष सैटेलाइट छोड़ने का प्रस्ताव किया तो सभी देश इसमें शामिल होने को तैयार थे लेकिन पाकिस्तान उल्टा इस पर संदेह जता रहा है।

3- यह सैटेलाइट सार्क देशों में न सिर्फ शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित होगी बल्कि भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने में भी मदद करेगी। 
4- इसी तरह से सार्क देशों के बीच मोटर वाहनों के आवागमन को आसान बनाने के लिए किए गए समझौते को भी पाकिस्तान लागू नहीं कर रहा है जबकि अन्य सभी देश इसके पक्ष में हैं। 
5. पाकिस्तान ने यही रवैया रेल क्षेत्र में सहयोग को लेकर अपनाया है।

View by gshindi.com :  दरअसल, सार्क को लेकर पाकिस्तान का रवैया कभी सकारात्मक नहीं रहा। आपसी सहयोग बढ़ाने के भारत के हर प्रस्ताव को वह संदेह की नजर से देखता रहा है। 
6. इसका सबसे बड़ा उदाहरण एक-दूसरे को प्रमुख वरीयता प्राप्त राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा देने का ही मुद्दा है।

- भारत ने वर्ष 1996 में पाक को यह दर्जा दिया था लेकिन तब से पाकिस्तान ना-नुकुर कर रहा है। एक बार तो कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बावजूद वहां की सरकार ने इसे लागू नहीं किया। अब तो भारत भी इसे रद करने की तैयारी में है।

- पाकिस्तान ने कभी भी सार्क के साथ अपने हितों को जोड़ कर नहीं देखा। सिर्फ पाक के असहयोग की वजह से तीस वर्षों में न तो सार्क क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौता लागू हो पाया है और न ही सहयोग का कोई अहम कार्यक्रम लागू हो पाया।

- यही वजह है कि भारत अब सार्क के अन्य सभी देशों के साथ अलग संगठनों के जरिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहा है। 

◆अगले महीने गोवा में ब्रिक्स बैठक के साथ ही बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान को मिला कर गठित समूह बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टर टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोआपरेशन (बिम्सटेक) की अहम बैठक बुलाई गई है। भारत सार्क के इन छोटे देशों को चीन, रूस जैसे बड़े बाजार से भी जोड़ने का प्रस्ताव दे रहा है।

=>>पाक की कारिस्तानी :-
1. भारत को एमएफएन का दर्जा देने से पीछे हटा

2. मोटर वाहन समझौते को लागू नहीं किया

3. बिजली कारोबार संबंधी नियम तय करने में डाले अड़ंगे

4. सार्क देशों के बीच रेल चलाने के प्रस्ताव को डाला ठंडे बस्ते में

5. सार्क सैटेलाइट छोड़ने के प्रस्ताव पर जताया संदेह

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download