- स्विट्जरलैंड में काला धन रखने वालों के लिए मुश्किल और बढ़ने वाली है। काले धन की जन्नत माने जाने वाले इस देश ने खुद कहा है कि वह ‘चुराए गए’ डाटा पर विदेशी खातेदारों की सूचना देने से जुड़े नियमों में ढील देगा।
कई देश चोरी के डाटा के आधार पर अपने नागरिकों के बैंकिंग ब्योरे स्विट्जरलैंड से मांगते हैं। यह कदम भारत की काले धन से लड़ाई में मददगार बनेगा।
- इसी हफ्ते प्रधानमंत्री ने भी अपनी यात्र के दौरान स्विस प्रेसीडेंट जोहान श्नाइडर अम्मान के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था।इस मुलाकात के बाद आए ताजा प्रस्ताव की भारत के संबंध में अहमियत और भी बढ़ जाती है।
- इस मामले में स्विट्जरलैंड की फेडरल काउंसिल ने टैक्स एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंस एक्ट में संशोधन को हरी झंडी दे दी। अब इस पर वहां की संसद में चर्चा होगी। इस संशोधन के पारित होने के बाद चोरी के डाटा के मामले में स्विस अधिकारियों के लिए भारत समेत तमाम देशों को टैक्स संबंध में सहायता करना आसान हो जाएगा।
- हालांकि इसके लिए भी शर्त लगा दी गई है कि ऐसी सूचना सामान्य प्रशासनिक माध्यमों या सार्वजनिक स्नोतों से प्राप्त की गई होनी चाहिए। अब अगर कोई देश इन सामान्य तरीकों से अगर चोरी किया गया डाटा हासिल कर लेता है, तो उसकी ओर से जानकारी मांगने के अनुरोध का उचित जवाब दिया जाएगा। हालांकि उस सूरत में अब भी कोई प्रशासनिक मदद नहीं दी जाएगी, अगर कोई देश किसी और तरीके से चोरी का डाटा हथिया लेता है।
- स्विट्जरलैंड अपने बैंकिंग कारोबार की गोपनीयता के लिए मशहूर है। मगर अब गैरकानूनी काली कमाई पर अंकुश के लिए तमाम देशों की ओर से की जा रही कार्रवाई के चलते स्विट्जरलैंड पर दबाव बढ़ गया है।
- वर्ष 2013 में भी फेडरल काउंसिल ने टैक्स एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंस एक्ट में संशोधन कर चोरी के डाटा के आधार पर सूचना देने के नियमों में ढील देने का सुझाव दिया था। मगर तब संघीय संसद ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। पिछले महीने ही स्विट्जरलैंड ने कर सूचना के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था शुरू की है।