अंतर क्षेत्रीय व्यापार में 60 प्रतिशत वृद्धि के प्रयास के तहत यात्रियों और सामानों के आवागमन को सुगम बनाने के लिए बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ सड़क मार्ग से जुड़ने के लिए भारत ने 558 किलोमीटर सड़कों के निर्माण और उन्नयन के लिए 1.04 अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना को स्वीकृति दी है।
उद्देश्य:- बांग्लादेश-भारत-भूटान-नेपाल (बीबीआईएन) सड़क पहल के पीछे मुख्य अवधारणा इलाके में सड़क संपर्क में सुधार करना है।
- परियोजना को आर्थिक मामले के विभाग से आधिकारिक स्वीकृति मिल गई है। इसका 50 प्रतिशत वित्त पोषण एशियाई विकास बैंक करेगा।
- फिलहाल इस सड़क परियोजना से मणिपुर और पश्चिम बंगाल को लाभ मिलेगा।
- दो साल के अंदर परियोजना को पूरा करने की बाध्यता है।
- परियोजना में अन्य के अलावा 1.5 करोड़ डॉलर की लागत से 122 किलोमीटर लंबे सिलिगुड़ी-मिरिक-दार्जिलिंग राष्ट्रीय राजमार्ग का उन्नयन और 13 करोड़ डॉलर की लागत से बांग्लादेश की सीमा के साथ 60 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-35 (कोलकाता-बनगांव) का चौड़ीकरण शामिल है।
- कोलकाता के डायमंड हार्बर को जोड़ने के लिए 25 करोड़ डॉलर की लागत से 123 किलामीटर नई सड़क का निर्माण भी इस परियोजना में शामिल है।
- मणिपुर के दो राष्ट्रीय राजमार्ग इस परियोजना में शामिल होने जा रहे हैं जिनमें 23 करोड़ डॉलर की लागत से 115 किलामीटर लंबे उखरूल-टोलोई-तदुबी राजमार्ग का निर्माण और कोहिमा-केदिमा क्रिंग-इंफाल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-35 के 138 किलोमीटर भाग को 28 करोड़ डॉलर की लागत से चार लेन में परिवर्तित करना शामिल है।
- ये दोनों निर्माण कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग आधारभूत संरचना विकास निगम द्वारा पूरे किए जाएंगे।
- एक अरब डॉलर की इस परियोजना के अलावा बीबीआईएन पहल के तहत 600 मीटर लंबे पुल और मणिपुर में इंफाल-मोरेह के बीच 110 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की भी योजना है।
- मनीला स्थित एशियाई विकास बैंक इस परियोजना के लिए 50 प्रतिशत धन देने के लिए सहमत है। विस्तृत परियोजना रपट तैयार है। नेपाल से हरी झंडी मिलने की प्रतीक्षा है।
- यह पुल नेपाल में ककरभिट्टा और पश्चिम बंगाल में पानीटंकी को जोड़ेगा।
- गत साल जून महीने में भूटान की राजधानी थिंपू में चारों दक्षिण एशियाई देशों ने दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच यात्री,निजी और मालवाहक वहनों के यातायात नियमित करने के लिए एक ऐतिहासिक मोटर वहन समझौता पर दस्तखत किए थे जिसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया था।