- अमेरिका ने भारत के प्रमुख रक्षा भागीदार के दर्जे को मान्यता देते हुये अपने निर्यात नियंत्रण कानून में जरूरी बदलाव किये हैं।
- इसके साथ अमेरिका से उसके वाणिज्य मंत्रालय के नियंत्रण वाले सैन्य सामानों का आयात करने वाली कंपनियों को एक तरह से मंजूरी दे दी गई है। इनमें व्यापक जनसंहार वाले हथियार शामिल नहीं हैं।
**क्या होंगे इससे भारत को लाभ :-
- इससे प्रौद्योगिकी और हथियारों का आसानी से हस्तांतरण किया जा सकेगा, जिसका भारत को फायदा मिलेगा।
- अब इसकी बहुत ही कम संभावना है कि भारत को किसी सैन्य उत्पाद के आयात के लिये लाइसेंस से इनकार किया जायेगा।
- इस भागीदारी से इसे वास्तविक नियामकीय सुधार में बदला जा सकेगा।
- नये नियमों के तहत कानून में भी बदलाव किया गया है। इससे आयातित सामान का वैधानिक तौर पर अंतिम उपयोग करने वाली कंपनियों को किसी तरह का लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
=>क्या होगा नया :-
- जो कंपनियां 'वैलिडेटेड एंड यूजर' का दर्जा हासिल कर लेंगी, उन्हें हथियारों के आयात के लिए अब लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब भारत में काम कर रहीं भारतीय और अमेरिकी कंपनियां नागरिक और सैन्य निर्माण के लिए वैलिडेटेड एंड यूजर का दर्जा हासिल कर सकेंगी और उन्हें यह दर्जा मिल जायेगा, तो उन्हें अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी
- पिछले करीब आधे दशक में इस नये नियम के तहत आने वाले सामानों के व्यापार में 5 अरब डॉलर का प्रतिनिधित्व करने वाले 810 लाइसेंस दिये गये हैं।