- केंद्र सरकार के अनुसार 14वें वित्त आयोग के सिफारिशों के आधार पर राज्य को ज्यादा टैक्स शेयर (32 फीसदी से 42 फीसदी तक) मिलेगा और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों पर करने के लिए उसके पास अधिक संसाधन होंगे.
केंद्र के सिफारिश के बाद राज्यों को कितना टैक्स मिलेगा?
- 39,081करोड़ रुपये :- 2014-15 और 2015-16 में राज्यों को टैक्स के रूप में दिया गया.
- 2014-15 के 15,098 करोड़ रुपये तुलना में 2015-16 में 23,983 करोड़ रुपये दिये गये.
- राज्य के कुल खर्च में केंद्र से मिलने वाली राशि और राज्य के खुद के संसाधन शामिल होते हैं. केंद्र सरकार राज्यों को उसकी जरूरत को देखते हुए, योजनाओं की तात्कालिकता, योजनाओं को लागू करने की दशा को देखकर फंड जारी करता है.
- 6,582 करोड़ रुपये:- अनुदान राशि इसी अवधि के दौरान दी गई. यह अनुदान ग्राम पंचायतों और नगर निकायों को मिली.
- 14वें वित्त आयोग ने 2015-2020 के लिए 2,87,436 करोड़ रुपये की राशि सिफारिश की है.
- हालांकि, 2014-15 में जहां 3,465 करोड़ रुपये दिये गये वहीं 2015-16 में यह राशि घट गई और 3,387 करोड़ दिये गये.
- 21,365 करोड़ रुपये राज्य की योजनाओं के लिए इस अवधि के दौरान केंद्र सरकार ने दी.
- केंद्रीय सहायता गाडगिल-मुखर्जी सूत्र के आधार पर दिया जाता है. इस सूत्र को चौथी पंचवर्षीय योजना में अपनाया गया था और इसमें संशोधन होता रहता है. किस राज्य को कितनी राशि मिलनी चाहिए इसका निर्धारण नीति आयोग करता है और वित्त मंत्रालय इसे 12 महीनों की किस्तों में जारी करता है. इस राशि को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी के अलावा दिया जाता है.
- हालांकि, 2014-15 में जहां 11,828 करोड़ रुपये दिये गये वहीं 2015-16 में 9,535 करोड़ रुपये दिये गये.
- 54,671 करोड़ रुपये :- अरुणाचल प्रदेश को 2015-16 में केंद्र सरकार की ओर से मिला. इसमें केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, केंद्रीय सहायता और अनुदान शामिल हैं. सभी राज्यों में सबसे ज्यादा अरुणाचल प्रदेश को मिला.
- अरुणाचल के अलावा मिजोरम को 37,222 करोड़, सिक्किम को 37,322 और नागालैंड को 30,920 करोड़ रुपये मिले.
- 3,005 करोड़ रुपये :- हरियाणा राज्य को 2015-16 में मिला. किसी भी राज्य को मिली यह सबसे कम राशि है.
- हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र को 3,351 करोड़, गुजरात को 3,415 करोड़ और पंजाब को 3,694 करोड़ रुपये मिले.
- केंद्रीय अनुदान उत्तर-पूर्व के राज्यों को ज्यादा मिलता क्योंकि ये पहाड़ी इलाके औद्यौगिक विकास से दूर और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं.