पारदर्शी लोकतंत्र के लिए चुनाव आयोग की पहल

- चुनाव आयोग चाहता है कि राजनीति में धन बल के बढ़ते दुरुपयोग पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून और आयकर कानून के चुनिन्दा प्रावधानों में संशोधन किया जाये। आयोग ने इस दिशा में पहल करते हुए कम से कम 255 ऐसे पंजीकृत राजनीतिक दलों को पंजीकृत दलों की सूची से बाहर कर दिया है, जिन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है।

- इन दलों के बारे में संदेह है कि उनका इस्तेमाल काला धन खपाने के लिये हो रहा है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया से काला धन बाहर करने तथा राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपए तक का चंदा देने वालों के नामों की गोपनीयता खत्म करने तथा व्यक्तिगत चंदे की राशि घटाकर दो हजार रुपए तक करने जैसे निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तर के दलों का रुख अभी साफ नहीं है।

 

=>> क्या है चुनाव आयोग की सिफारिशें :-

 

- आयोग ने केन्द्र सरकार से कहा है कि राजनीतिक दलों को दो हजार या इससे अधिक राशि के बेनामी चंदे पर रोक लगाने के लिये कानून में बदलाव किया जाये। आयोग तो यह भी चाहता है कि आयकर की छूट लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ने वाले और चुनाव में सीटें जीतने वाले राजनीतिक दलों को ही मिलनी चाहिए।

- आयोग का मानना है कि यदि काले धन को निष्प्रभावी बनाने के लिये एक हजार और पांच सौ रुपए की मुद्रा को चलन से बाहर करने के फैसले से करोड़ों देशवासी अनेक परेशानियों का सामना कर सकते हैं तो फिर राजनीतिक दलों को भी खुद को काले धन से मुक्ति दिलाने की दिशा में पहल करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। आयोग ने इन प्रस्तावों को केन्द्र सरकार के पास भेजे प्रस्ताव में शामिल किया है। बेनामी चंदे के बारे में आयोग के प्रस्ताव से स्पष्ट है कि वह उन दलों को आयकर से छूट का लाभ देने के पक्ष में नहीं है, जिनका गठन आयकर बचाने के इरादे से ही किया गया हो।

 

 विस्तार से :-

- निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस समय देश में 1900 से अधिक पंजीकृत राजनीतिक दल हैं और इनमें से चार सौ से अधिक दलों ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। बहुत संभव है कि काले धन को खपाने के लिये इन दलों का इस्तेमाल होता हो। इस आशंका को ध्यान में रखते हुए आयोग ने ऐसे दलों की छंटनी का अभियान शुरू किया और उसने इस संबंध में राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्तों से रिपोर्ट भी तलब की है।

- इसके अलावा, आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ने की व्यवस्था को हतोत्साहित करने के इरादे से जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा में संशोधन का सुझाव दिया है।

 

- आयोग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 2004 में सरकार के पास कानून में संशोधन का प्रस्ताव भेजा था। आयोग का मत था कि यदि कानून में संशोधन संभव नहीं हो तो नियमों में प्रावधान किया जाये कि दो सीटों से चुनाव लड़ने और जीतने के बाद एक सीट छोड़ने वाले उम्मीदवार को ऐसी सीट पर होने वाले उपचुनाव पर होने वाले खर्च के संबंध में उचित धनराशि सरकारी खजाने में जमा करानी चाहिए। लोकसभा सीट के लिये यह धनराशि दस लाख रुपए और विधानसभा की सीट के लिये पांच लाख रुपए निर्धारित की जा सकती थी।

 

- न्यायमूर्ति ए. पी. शाह की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने चुनाव सुधारों को लेकर मार्च 2015 में सरकार को अपनी 255वीं रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें उम्मीदवारों के दो स्थानों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने और राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे और इसका विवरण देने की अनिवार्यता के बारे में भी महत्वपूर्ण सुझाव दिये थे। यह रिपोर्ट अभी सरकार के विचाराधीन है।

- सरकार के रुख को देखकर ऐसा लगता है कि 30 दिसंबर के बाद इस तरह के पंजीकृत दल जांच के दायरे में आ सकते हैं, जिन्होंने हाल के सालों में कोई चुनाव ही नहीं लड़ा है।

#IAS #UPSC #MPPSC #RPSC #CGPSC #UPPSC

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download