अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: तीन देश, तीन व्यवस्था, तीन तस्वीर

=>अमेरिका / उदार :-

- अभिव्यक्ति की आजादी की सुरक्षा के प्रावधान हैं। इनमें भाषण देने की स्वतंत्रता, प्रेस, एकत्र होने और अन्याय का विरोध करना शामिल है। यहां सरकारी हस्तक्षेप से रोकथाम के प्रावधान हैं। 
- राजद्रोह के मामलों में मुकदमे चलाने के वाकए दुर्लभ हैं लेकिन संघीय कानूनों के तहत राजद्रोह एक अपराध है जिसके तहत देश के खिलाफ साजिश रचने और संघीय सरकार को ताकत के इस्तेमाल से तख्तापलट जैसे मंसूबों को दंडित करने के प्रावधान हैं। 
- सभी लोगों को धार्मिक आजादी सुनिश्चित है। सरकार किसी भी संगीत, नाटक, पेंटिंग, मूर्ति, फोटो, फिल्म यहां तक कि किसी कॉमिक बुक के सृजन या वितरण पर रोक नहीं लगा सकती है।
- अभिव्यक्ति की आजादी को सुरक्षित रखने के लिए यहां का सुप्रीम कोर्ट झंडाबरदार बना हुआ है लेकिन इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट पर नकेल कसने की सरकार की मंशा पर बहस जारी है।

=>चीन / प्रतिबंधित:-

- संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रकाशन, एकत्र होने, रैली निकालने और प्रदर्शन करने की आजादी नहीं देता। सामाजिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की दलील के साथ ऐसा किया जाता है।
- बिगड़ी सामाजिक व्यवस्था के मायने को विस्तारित करते हुए आपराधिक कदम उठाए जाने के प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें शांति पूर्ण प्रदर्शन से लेकर आलोचनात्मक प्रकाशन तक शामिल हैं।
- यह व्यापक व्याख्या पुलिस को यह अनुमति देती है कि वे कार्यकर्ताओं की जांच कर सके और उन्हें गंभीर मामलों में आरोपित कर सके। बौद्ध, ताओ, ईसाई और इस्लाम जैसे प्रमुख धर्मों के अलावा अन्य के धार्मिक कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध है। किसी अन्य धर्म का अनुपालन करना परेशानी का सबब बन सकता है। किसी भी प्रक्रिया की सूचना हासिल करना बहुत कठिन है। कलात्मक और रचनात्मक आजादी प्रतिबंधित है।

=>भारत / औसत:-

- यहां के नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार मिला हुआ है। न्यायिक फैसले ने इस अधिकार को दायरे को और व्यापक किया है। अब इनमें किसी भी माध्यम में विचारों की अभिव्यक्ति भी शामिल है।
- इंडियन पीनल कोड (आइपीसी) में राजद्रोह के लिए अभियोग का प्रावधान है। हालांकि यह औपनिवेशिक युग के कानूनों की एक बानगी है। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट में इसके असर और दायरे को क्रमश: भोथरा और संकुचित किया है। पूर्व में इस कानून का इस्तेमाल मीडिया, एक्टिविस्ट, कलाकारों और बौद्धिक वर्ग के लोगों के खिलाफ किया जा चुका है। 
- संविधान सभी को धार्मिक आजादी भी मुहैया कराता है। कानून के समक्ष सभी धर्म बराबर हैं।

- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत ही प्रेस की आजादी भी संस्थापित है। अवमानना के कानून मौजूद हैं लेकिन बोलने की आजादी और निष्पक्ष सुनवाई के बीच संतुलन बनाने में दिक्कतें आती हैं।
- कलाकारों को आजादी हासिल है, लेकिन कभी-कभी धार्मिक भावनाओं को आहत किए जाने के मामले सामने आते रहते हैं।

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