अरूणाचल प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उथलपुथल, पार्टी से बागी विधायकों को बाहर निकाला जाना और आज उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संबंध में फैसला सुनाते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को वापस बहाल करने तथा राज्यपाल द्वारा 9 दिसंबर 2015 से अभी तक लिए गए सभी फैसलों को खारिज करने तक का घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा :--
एक नवंबर, 2011 - कांग्रेस नेता नबाम तुकी अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनके भाई नबाम रेबिया विधानसभा अध्यक्ष बने।
दिसंबर, 2014 - मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान तुकी ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कालिखो पुल को मंत्रिमंडल से हटाया।
अप्रैल 2015 - पुल ने सरकार में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया। कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें पार्टी से निकाला।
एक जून, 2015 - ज्योति प्रसाद राजखोवा को राज्यपाल का पद
3 नवंबर, 2015 - राज्यपाल ने 14 जनवरी, 2016 से विधानसभा का छठवां सत्र आहूत किया।
नवंबर, 2015 - कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा उपाध्यक्ष को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने की मंजूरी मांगी। भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने की इजाजत मांगी।
9 दिसंबर, 2015 - राज्यपाल ने विधानसभा सत्र 14 जनवरी, 2016 के स्थान पर करीब एक महीने पहले 16 दिसंबर, 2015 को बुलाया।
15 दिसंबर, 2015 - विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया ने कांग्रेस के 21 बागी विधायकों में से 14 की सदस्यता समाप्त करने का नोटिस जारी किया।
15 दिसंबर, 2015 - विधानसभा उपाध्यक्ष ने 21 में से 14 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का आदेश खारिज किया।
16 दिसंबर, 2015 - विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि 16 दिसंबर से विधानसभा सत्र आहूत नहीं हो सकने के संबंध में अध्यक्ष का फैसला अवैध है। नबाम तुकी सरकार ने विधानसभा भवन पर ताला जड़ा। विधानसभा की बैठक दूसरे भवन में हुई, जिसमें 33 विधायकों ने हिस्सा लिया। रेबिया को विधानसभा अध्यक्ष के पद से हटाने का प्रस्ताव पारित, नया अध्यक्ष नियुक्त।
17 दिसंबर, 2015 - सामुदायिक सभा उपलब्ध नहीं होने के कारण बागियों ने होटल में विधानसभा सत्र बुलाया, तुकी के खिलाफ मतदान किया, पुल को मुख्यमंत्री चुना। विधानसभा और संबंधित घटनाक्रम पर रोक लगवाने की अर्जी के साथ नबाम रेबिया गुवाहाटी उच्च न्यायालय पहुंचे।
5 जनवरी, 2016 - उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर स्थगन लगाया।
6 जनवरी, 2016 - बागी विधायकों द्वारा हटाए गए विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर सुनवायी की उच्चतम न्यायालय ने हामी भरी।
14 जनवरी, 2016 - उच्चतम न्यायालय ने अरूणाचल मामला संविधान पीठ को भेजा।
15 जनवरी, 2016 - उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल के स्वनिर्णय के अधिकारों के संवैधानिक दायरे में होने के संबंध में समीक्षा शुरू की।
18 जनवरी, 2016 - कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय से कहा, राज्यपाल विपक्षी भाजपा विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों के प्रस्ताव के आधार पर विधानसभा सत्र पहले बुलाने का फैसला नहीं ले सकते थे।
25 जनवरी, 2016 - अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश के बाद कांग्रेस उच्चतम न्यायालय पहुंची।
26 जनवरी, 2016 - केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की।
27 जनवरी, 2016 - अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन उच्चतम न्यायालय की समीक्षा के दायरे में आया। न्यायालय ने राज्य में केंद्र का शासन लगाने की सिफारिश के संबंध में राज्यपाल की रिपोर्ट मांगी, कहा, यह बहुत गंभीर मामला है।
28 जनवरी, 2016 - नबाम तुकी ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में ताजा याचिका दायर की।
29 जनवरी, 2016 - केन्द्र ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को सही ठहराते हुए उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया। कहा, राज्य में संवैधानिक ढांचा पूरी तरह ठप्प, राज्यपाल खतरे में।
एक फरवरी, 2016 - न्यायालय ने राज्यपाल को जारी नोटिस वापस लिया, कहा उन्हें छूट प्राप्त है।
2 फरवरी, 2016 - शीर्ष न्यायालय ने राज्यपाल के अधिकारों की समीक्षा संबंधी याचिका पर सुनवायी शुरू की।
4 फरवरी, 2016 - न्यायालय ने इस बात पर कड़ा रूख अपनाया कि राज्यपाल के सभी फैसलों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती।
5 फरवरी, 2016 - न्यायालय ने विधानसभा सत्र जनवरी, 2016 के स्थान पर दिसंबर 2015 में बुलाने संबंधी राज्यपाल के आदेश पर सवाल किया।
9 फरवरी, 2016 - न्यायालय ने कांग्रेस के दो बागी विधायकों द्वारा गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया। अदालत ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किए जाने को सही ठहराया था।
10 फरवरी, 2016 - राज्यपाल राजखोवा ने न्यायालय में अपने कदमों का बचाव करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष में सांठगांठ थी और बहुमत खोने के बावजूद वे सत्ता में रहना चाहते थे।
11 फरवरी, 2016 - न्यायालय ने कहा, राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियां नहीं छीन सकते।
16 फरवरी, 2016 - नए मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने से राज्यपाल को रोकने संबंधी अंतरिम आदेश पारित करने की मांग करने वाली कांग्रेस की याचिका न्यायालय ने खारिज की।
18 फरवरी, 2016 - 14 विधायकों की सदस्यता समाप्ति पर स्थगन संबंधी गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले से उच्चतम न्यायाधीश संतुष्ट, प्रदेश में नयी सरकार के गठन का रास्ता साफ।
19 फरवरी, 2016 - न्यायालय ने अरूणाचल प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण संबंधी कांग्रेस की याचिका खारिज की। राज्य से राष्ट्रपति शासन समाप्त।
20 फरवरी, 2016 - पुल ने अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
22 फरवरी, 2016 - विधानसभा सत्र आहूत करने या उसे तय तिथि से पहले बुलाने से जुड़े राज्यपाल के स्वविवेक निर्णय अधिकारों से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा, कहा उसके पास नुकसान को पलटने का अधिकार है।
13 जुलाई, 2016 - न्यायालय ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया, अरूणाचल प्रदेश में कांग्रेस की नबाम तुकी सरकार की बहाली का आदेश दिया।
20 जुलाई पेमा खांडू ने विधानसभा में बहुमत हासिल किया और नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।