- देश में न्यायाधीशों की कमी ही अदालतों में मुकदमों के लंबित होने की इकलौती वजह नहीं है बल्कि अन्य कारणों से भी बड़ी संख्या में मामले लटके हुए हैं।
- - इसका उदाहरण है कि दिल्ली और गुजरात में लंबित मामलों के निपटारे में कठिनाई हो रही है जबकि दोनों राज्यों में न्यायाधीश और जनसंख्या के बीच अनुपात अन्य राज्यों से बेहतर है। पूरे देश में इस समय करीब सिविल के करीब 85 लाख मामले लंबित हैं।
यह बात कानून मंत्रालय की पड़ताल में सामने आई है। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने देश में न्यायाधीशों की कम संख्या के चलते लोगों को न्याय न मिल पाने की बात कही थी। देश में न्यायाधीशों की मौजूदा संख्या 21 हजार है जबकि मौजूदा मुकदमों की सुनवाई के लिए यह संख्या 40 हजार होनी चाहिए।
इसी के बाद कानून मंत्रालय ने तथ्यों की पड़ताल कराई। विशेषज्ञों की राय के अनुसार कई तरह के कारणों से मुकदमे लंबित होते हैं।
१.इनमें न्यायालय प्रबंधन में खामी,
२. सुनवाई तिथि का आगे बढ़ते रहना,
३. वकीलों की हड़ताल,
४. पहली अपील का लंबित रहना जैसे कारण भी हैं।
- दिल्ली और गुजरात की तुलना में तमिलनाडु व पंजाब में न्यायाधीशों की संख्या का अनुपात ज्यादा है, अर्थात वहां जजों की संख्या कम है, इसके बावजूद वहां लंबित मुकदमों की संख्या कम है।