सुप्रीम कोर्ट नेअदालतों में वर्षों से लंबित आपराधिक मामलों के निपटारे की समय सीमा तय कर दी.
What SC said:
- शीर्ष अदालत ने सभी हाईकोर्टों से कहा है कि वे अपनी अधीनस्थ अदालतों को जमानत याचिकाओं का निपटारा एक हफ्ते के भीतर करने का निर्देश दें. यही नहीं, सभी मजिस्ट्रेट छोटे आपराधिक मामलों में कैद विचाराधीन कैदियों के खिलाफ मुकदमे का निपटारा छह महीने के अंदर करें.
- सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक निर्देश के तहत सत्र अदालतों को गंभीर आपराधिक मामलों का निपटारा दो साल में करना होगा.
- पांच साल पुराने सभी मामले इस साल के अंत तक निपटाने का प्रयास किया जाना चाहिए.’
- अदालत ने यह भी कहा कि कोई विचाराधीन कैदी दोषी साबित होने से पहले ही संभावित से अधिक सजा काट चुका है तो उसे, व्यक्तिगत बांड पर रिहा कर देना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘समय पर न्याय मानवाधिकारों का ही हिस्सा है. त्वरित न्याय को नकारने से लोगों का विश्वास न्याय व्यवस्था से डिग सकता है इसलिए, संसाधनों की कमी के बावजूद इसे नकारा नहीं जा सकता.’