महिलाओं के खिलाफ बढ़ते जुल्म और अपराधों से बचाव के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की भूमिका पर संसद की स्थायी समिति ने सवाल उठाया है
=>क्या कहा समिति ने :-
- समिति ने कहा है कि महिलाओं के संरक्षण में आयोग की कोई सक्रिय भूमिका नहीं दिखती। उसे इसके लिए ठोस और संगठित प्रयास करने चाहिए।
- समिति ने कहा कि मौजूदा समय में महिलाओं के खिलाफ देश में हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उनके जीवन जीने के अधिकार समेत विभिन्न अधिकारों पर अतिक्रमण किए जाने की घटनाएं रोज सामने आ रही हैं। महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा, दुष्कर्म और दहेज हत्या समेत अन्य अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
- ऐसे में समिति को ऐसा कुछ भी नहीं दिखा कि आयोग ने महिलाओं के अधिकारों के बचाव और सुरक्षा को कोई भूमिका निभाई हो।
- तीन साल में जागरूकता पर 89.28 करोड़ खर्च : गौरतलब है कि गत तीन साल में महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण की निगरानी और जागरूकता के लिए 89.28 करोड़ रूपये खर्च किए हैं।
- समिति ने खर्च के पहलू को ध्यान में रखते हुए कहा कि जागरूकता कार्यक्रम ऐसे होने चाहिए, जिनसे लोगों को वास्तविकता में शिक्षा मिले।
रिपोर्ट में समिति ने कहा कि हमारी राय में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
=>" राष्ट्रिय महिला आयोग क्या है"
★ राष्ट्रीय महिला आयोग भारतीय संसद द्वारा 1990 में पारित अधिनियम के तहत जनवरी 1992 में गठित एक वैधानिक
(statutory) निकाय है
- इसका काम महिलाओं के संवैधानिक हित और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू करना होता है।
- यह महिलाओं के सुरक्षा हित को देखते हुए कई मामलों में स्वत: संज्ञान ले सकती है।
- महिला आयोग बाल विवाह मुद्दे को भी देखती हैं।