एक करोड़ रुपये से अधिक सरकारी अनुदान पाने वाले एनजीओ लोकपाल के दायरे में

  • सरकार से अनुदान के तौर पर एक करोड़ रुपये से अधिक रकम और विदेशों से 10 लाख रुपये से अधिक दान प्राप्त करने करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) लोकपाल के दायरे में लाये गए हैं।
  •  नए नियमों के तहत, इस तरह के एनजीओ के पदाधिकारियों को ‘लोक सेवक’ मना जाएगा और अनियमितताओं के मामले में भ्रष्टाचार-रोधी कानून के तहत इन पर मामला चलाया जाएगा।
  • गृह मंत्रालय को विदेशी अनुदानों का दुरूपयोग करने के मामले में विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्यकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय को ‘सक्षम प्राधिकार’ बनाया गया है।
  • कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी नए नियमों के मुताबिक, एक सोसाइटी, लोगों के संघ या न्यास (किसी भी कानून के तहत पंजीकृत किया गया हो जो फिलहाल लागू है या नहीं) जिसे सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक वित्त पोषित किया गया हो और जिसकी सालाना आय एक करोड़ रुपये से अधिक हो, का कोई भी मौजूदा या पूर्व निदेशक, प्रबंधक, सचिव या कोई अन्य अधिकारी लोकपाल के दायरे में आएगा।

- यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब विदेशों से मिले धन का दुरूपयोग करने के कारण सरकार द्वारा दो एनजीओ- लॉयर्स कलेक्टिव एवं सबरंग ट्रस्ट के लाइसेंस हाल ही में निरस्त कर दिए गए हैं। नए नियम एनजीओ, सीमित देनदारी वाली साझीदारी फर्मों या ऐसे किसी अन्य समूह जो केन्द्र सरकार द्वारा आंशिक या पूर्ण वित्त पोषित हैं पर लागू होंगे।

  • उस एनजीओ के शीर्ष अधिकारियों में से किसी एक अधिकारी से ‘उस समय तक सालाना रिटर्न दाखिल करने की अपेक्षा की जाती है जब तक कि उपरोक्त दान की संपूर्ण रकम पूर्ण उपयोग नहीं हो जाती।’
  • सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले एनजीओ के मामले में ऐसे किसी भी संगठन को अधिकतम सहायता राशि देने वाला संबद्ध मंत्रालय के विभाग का प्रभारी मंत्री, नियमों के उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकरण होगा।

- लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून, 2013 के तहत बनाए गए नए नियमों में कहा गया है कि एनजीओ द्वारा सालाना रिटर्न संबद्ध विभाग के पास दाखिल किया जाएगा जिसमें सरकारी सहायता की अधिकतम राशि का ब्यौरा देना होगा। ये सालाना रिटर्न, निदेशक, प्रबंधक या सचिव सहित शीर्ष पदाधिकारियों को भी दाखिल करना आवश्यक होगा।

- नए नियमों से सरकार द्वारा वित्त पोषित एनजीओ के तहत काम कर रहे अधिकारी लोकपाल के दायरे में आ गए हैं और अनुदान का दुरपयोग करने या कथित भ्रष्टाचार के लिए उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।’ लोकपाल नाम की संस्था केन्द्र सरकार द्वारा अभी स्थापित की जानी बाकी है क्योंकि लोकपाल कानून का संशोधन विधेयक संसद में लंबित है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download